
दरअसल, लखनऊ शूटआउट के बाद मामले को दबाने में जुटी पुलिस का दावा था कि विवेक ने सिपाही को कुचलने का प्रयास किया, जिस पर उसने आत्मरक्षा में फायर किया और गोली विवेक के चेहरे पर लगी, जिससे उनकी मौत हो गई. लेकिन पूर्व सहकर्मी के बयान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने लखनऊ पुलिस के अधिकारियों के सफ़ेद झूठ को सामने ला दिया है.
सहकर्मी और चश्मदीद सना के बयान को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी पुष्ट कर रही है. सना ने सोमवार को दिए अपने बयान में कहा कि जिस सिपाही ने विवेक पर फायर किया था, वह डिवाइडर पर खड़ा था. उसने सामने से आती हुई कार पर गोली चलाई, जबकि उसकी जान को कोई खतरा नहीं था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है कि विवेक पर चली गोली ऊपर से नीचे की दिशा में है. यानी फायर करने वाला व्यक्ति ऊंचाई पर खड़ा था. उसने सीधे निशाना नहीं साधा, बल्कि फायर करते वक्त उसका हाथ नीचे की ओर झुका हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि गोली विवेक की ठोड़ी पर लगी और नीचे की तरफ जाकर गर्दन में फंस गई.
इतना ही नहीं वारदात के बाद 29 सितंबर की रात 2:05 बजे विवेक को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. रात 2:25 पर विवेक की मौत हुई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फायर आर्म इंजरी का ज़िक्र किया गया है. गोली लगने के बावजूद पुलिस ने एक्सीडेंट की थ्योरी दी. 3:30 बजे विवेक की पत्नी के अस्पताल पहुंचने के बावजूद 4:57 पर सना से पहली एफआईआर दर्ज करवाई.