गंगा माँ के नकली लाल के चक्कर में, गंगा माँ का असली लाल चल बसा
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गंगा माँ के नकली लाल के चक्कर में, गंगा माँ का असली लाल चल बसा

समाज सेवकों का इस दुनिया में कोई काम नहीं है
इस धरती पर सिर्फ नेताओं की ही जरूरत है
गोलोक वासी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी को सादर नमन
    बेहद दुःखद सूचना प्रसिद्ध पर्यावरणविद IIT प्रो. गुरुदास अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) जी का देहांत हो गया। माँ गंगा की अविरलता के लिए वे 112 दिन से अनशन पर बैठे हुए थे।
     प्रधानमंत्री और उमा भारती क्या दोनों को स्वामी जी की आवाज सुनाई नहीं पड़ी जब कि इतने दिन तक स्वामी जी अनशन पर बैठे रहे, वैसे तो प्रधानमंत्री जी ढिंढोरा पीटते रहते हैं कि हम गंगा की सफाई के लिए गंगा मां के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं, क्या कर रहे हैं ?
     स्वामी जी की जगह पर यदि कोई बीजेपी का नेता बैठा होता अनशन पर तो चारों तरफ मीडिया और नेता हाहाकार मचा देते कितना बड़ा काम कर रहे हैं। गंगा सफाई के लिए 4 दिन में ही चारों तरफ सफाई शुरू हो जाती, लेकिन एक इतने महान व्यक्ति जिन्होंने समाज के लिए और गंगा जी के लिए कितना महान कार्य कर रहे थे उनकी आवाज नेताओं को सुनाई नहीं पडी |
      अविरल और निर्मल गंगा के लिए विशेष एक्ट पास कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया। बुधवार को स्वामी सांनद को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा है कि स्वामी सांनद ने मंगलवार को ही जल त्याग दिया था। वह 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे।
        स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द (जन्म 20 जुलाई 1932) भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणप्रेमी थे। उनका मूल नाम जी डी अग्रवाल था। सम्प्रति वे महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के मानद प्राध्यापक (ऑनरेरी प्रोफेसर) हैं। २००९ में भागीरथी नदी पर बांध निर्माण रुकवाने के लिये उन्होने अनशन आरम्भ किया था जो सफल रहा।
      वे आई आई टी, कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण विभाग में प्राध्यापक, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में प्रथम सचिव और राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय के सलाहकार रह चुके हैं।
      बता दें कि पर्यावरणविद् और एक्टिविस्ट स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल गंगा की सफ़ाई को लेकर हरिद्वार में आमरण अनशन पर बैठे थे। बाद में उन्हें जबरन एम्स ऋषिकेश में भर्ती करा दिया गया था। भर्ती होने के बावजूद प्रो अग्रवाल अपना अनशन जारी रखे हुए थे। इस पूरे मुद्दे को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने संसद में उठाने की बात भी की थी। इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उमा भारती पत्र लिखकर प्रो. जीडी अग्रवाल को मनाने की कोशिश कर चुके थे।
       इसके जवाब में उन्होंने लिखा था कि उन्होंने फ़रवरी में प्रधानमंत्री मोदी को गंगा की सफ़ाई के लिए पत्र लिखा था, जिसका उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने आमरण अनशन पर जाने का निर्णय लिया। आमरण अनशन की जानकारी 13 जून को प्रधानमंत्री को लिखकर दी गई थी। उमा भारती स्वामी सानंद को अपना बड़ा भाई कहती रही थी इसलिए पत्र के अंत में स्वामी सानंद ने लिखा था कि ‘अगर जीवित रहा तो रक्षाबंधन में याद कर लेना’।
        इससे पहले वह 2009 में भागीरथी पर डैम बनाने को रोकने के लिए भी सफ़ल अनशन कर चुके थे। बता दें कि स्वामी सानंद सन्यास लेने से पहले सीपीसीबी के पहले मेंबर सचिव रह चुके हैं जबकि पर्यावरण वैज्ञानिक के रूप में वह आइआइटी कानपुर सहित विभिन्न संस्थानों में अध्‍यापन कर चुके हैं।
     अभी १२ जुलायी को हरिद्वार मातृ सदन के स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की पुलिस गिरफ्तारी मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था । हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह को आदेश दिए थे कि वह 12 घंटों के भीतर स्वामी से मिलकर उनकी मांगों को पूरा करें। इसके साथ ही उस जगह को भी सार्वजनिक किया जाए जहां स्वामी ज्ञानस्वरूप को रखा गया है।
     फर्जी, सत्ता लोलुप, अहंकारी, सत्ता के दलाल संत-बाबाओं से भरी दुनिया में गंगा की अविरल धारा के लिए एक संत का भूख से मर जाना इस देश के लिए कलंक है. यह फोटो जुलाई में उनकी गिरफ्तारी का है दूसरा उनके बीमार होने पर भी अनशन का।

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