अब जेल में नहीं फ्लैट में रहेगे कैदी, नौकरी भी मिलेगी
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अब जेल में नहीं फ्लैट में रहेगे कैदी, नौकरी भी मिलेगी

    करनाल/हरियाणा।। अब जेल में बंद कैदी अपने बच्चों के साथ जेल से बाहर फ्लैट में भी रह सकते हैं, बशर्ते उनका आचार, व्यवहार और कार्यशैली अच्छी होनी चाहिए। वे बाहर किसी दुकान, फार्म या पेट्रोल पंप पर काम भी कर सकते हैं। इसके लिए पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर ऑपन एयर जेल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। आइए जानते हैं क्या है पूरी योजना और कैसे होगा काम..
     बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा के करनाल और फरीदाबाद में जेल के बाहर फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं। इनमें अच्छे व्यवहार वाले कैदियों को परिवार और बच्चों के साथ रहने की अनुमति दी जा सकती है। परिवहन एवं जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने बताया कि प्रदेश में 19 जेल हैं। इनमें से करनाल और फरीदाबाद में ओपन एयर जेल, पॉयलेट प्रोजेक्ट की शुरूआत हो चुकी है। इसके मद्देनजर करनाल जेल के बाहर 30 और फरीदाबाद जेल के बाहर 36 फलैट बनाए गए हैं, जिनमें आचरण, व्यवहार से अच्छे कैदियों को रखा जाएगा। यही नहीं ये कैदी, बंदी, किसी पेट्रोल पंप, दुकान या फार्म में काम भी कर पाएगा और शाम को अपने बच्चों के पास भी आ जाएगा।
      मंत्री ने बताया कि प्रदेश की सभी जेलों में कैदियों को अच्छे व्यवहार और आचरण के लिए हवन करवाए जा रहे हैं। उनके आचरण को सुधारने के लिए ज्ञानानंद की ओर से प्रवचन दिया जा रहा हैं। मंत्री खुद भी उनके साथ जाते हैं। मंत्री ने बताया कि कई अवसरों पर अच्छा आचरण रखने व ज्यादा वृद्ध कैदियों को रिहाई का काम भी किया गया है। इस बार फिर से गांधी जयंती पर 2 अक्तूबर को भी इसी प्रकार के कैदियों जिनका आचरण अच्छा है और ज्यादा वृद्ध हैं, को रिहा किया जाएगा।
      जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने जेल में बंद कैदियों व बंदियों को नसीहत भी दी है। उन्होंने बताया कि जो कैदी जेल में बंद है, उनमें क्रोध है, उन्हें उस क्रोध को खत्म कर अपना आचरण अच्छा बनाना होगा। अगर कैदी अपना आचरण अच्छा रखते हैं तो उन्हें फ्लैटों में भी रखा जा सकता है, जहां वे अपने बच्चों के साथ भी रह सकते हैं। जेल के बाहर काम भी करवाया जा सकता है। इसलिए कैदियों को अपनी मानसिकता बदलकर अपना आचरण सुधारना होगा। 
    उन्होंने कहा कि प्रदेश में जेल का विभाग उनके पास है। उन्होंने कहा कि उनकी आदत है कि वे बैरक में किसी भी बुजुर्ग व महिला से मिलकर आते हैं, उनसे उनका हाल-चाल तक पूछते हैं। उनसे उनकी सजा व क्राइम के बारे में भी बातचीत करते हैं। उनकी पर्सनल जिंदगी के विचारों को भी शेयर कर लेते हैं। कई बुजुर्गों की दर्दनाक आपबीती सुनने के बाद उन्होंने सीएम से मिलकर उनकी सजा कम करवाने का आग्रह किया।

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