भोपाल।। करवाचौथ पर महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं। लेकिन भोपाल में एक मामले में तो यही उपवास बिखरने जा रहे एक परिवार को वापस जोड़ने का जरिया बन गया है। दरअसल, पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी लेकर पहुंचे पति से सुनवाई रोकते हुए न्यायाधीश ने कहा कि जाओ पहले पत्नी को करवाचौथ की खरीदारी कराओ और त्योहार मनाओ। इसके साथ ही अदालत ने काउंसलर को इस संबंध में रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है।
पारिवारिक न्यायालय में लालघाटी निवासी एक शख्स ने तलाक के लिए आवेदन दिया था। काउंसलिंग के दौरान पति ने बताया कि उसकी शादी मई 2014 में हुई थी। पत्नी संविदा पर नाैकरी भी करती है। तीन साल तक सबकुछ अच्छा चला।
पत्नी के दफ्तर के लाेगाें से उनका मेलजोल था। एक दिन पत्नी के साथ नाैकरी करने वाले दाे पुरुष साथियाें ने बताया कि उसका अफेयर चल रहा है। पत्नी से पूछने पर वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं थी।
इसी बात पर तनाव इतना बढ़ा कि पत्नी घर से चली गई। इसके बाद बातचीत बंद हाे गई। दाे साल तक कोई बोलचाल नहीं हुआ। इसके बाद उन्हाेंने आपसी सहमति से तलाक का प्रकरण लगा दिया।
...और जज साहब ने रोक दी सुनवाई
फैमिली काेर्ट में तलाक की अर्जी की सुनवाई जज साहब ने उस समय रोक दी जब महिला ने कहा कि उसने पिछले साल करवाचौथ का उपवास रखा था, लेकिन पति व्रत तुड़वाने नहीं आया। इस पर पति ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने फोन लगाया था, साली ने फोन उठाया और कहा कि दीदी बात नहीं करना चाहतीं।
इन बातों को सुनने के बाद जज साहब ने सुनवाई रोकते हुए कहा कि बीती बाताें काे छाेड़ दें। इस साल का करवाचाैथ मनाएं। उन्होंने पति से कहा कि वह पत्नी को करवाचाैथ की शाॅपिंग कराने ले जाए। इसके साथ ही जज ने मामले की काउंसलर नुरुनिसा खान काे भी निर्देशित किया। उनकी रिपाेर्ट के बाद अगली सुनवाई हाेगी।
पत्नी बोली...शक करने वाले शख्स के साथ नहीं रह सकती
सुनवाई के दौरान पत्नी ने कहा कि उनकी अरेंज मैरिज है। पति के साथ तीन साल बहुत अच्छे से बीते। पति काफी मदद करते और हर बात में साथ देते थे। लेकिन अचानक से पति का व्यवहार बदल गया। वह कटे-कटे से रहने लगे, बात-बात पर झगड़ा होने लगा। कई बार मेरे दफ्तर पहुंच जाते। किससे मिली नहीं मिली हर शाम इसका जवाब देना पड़ता था।
बात तब और भी ज्यादा बिगड़ी जब पति ने टूर के दौरान एक पुरुष साथी के साथ नाम जाेड़कर काफी जलील किया। महिला ने कहा कि उस दिन मेरे आत्मसम्मान को काफी ठेस पहुंची, जबकि मेरा संबंधित व्यक्ति से कोई सरोकार नहीं था। मैं शक करने वाले शख्स के साथ नहीं रह सकती, इसलिए मायके चली गई।
साथ रहने को तैयार नहीं थे
वहीं मामले की काउंसलर नुरुनिसा खान ने बताया कि उन्हाेंने पति-पत्नी दाेनाें की तीन काउंसलिंग कीं। लेकिन दाेनाें साथ रहने तैयार नहीं थे। पत्नी का कहना था उसका काेई अफेयर नहीं है, पर पति यह मानने को तैयार नहीं था। उन्हाेंने रिपाेर्ट बनाकर प्रधान न्यायधीश आरएन चंद को दी थी। फाइनल सुनवाई में जज साहब को उम्मीद की किरण दिखी।