पहले और दूसरे चरण के असफल होने के बाद चीनी वॉर के तीसरे चरण की शुरुआत दबे पांव हमारे देश में भी हो चुकी है चीन ने भारत मे अपने वामपंथी गिद्दों को देशविरोधी भ्रामक प्रचार के लिए मैदान में उतार दिया है। अब कोरोना नहीं वामपंथी स्लीपर सेल ज्यादा सक्रिय हो चुका है। इन्होंने ही अफवाह फैलाई कि लोकडाउन 3 से 6 माह चल सकता है। मजदूरों का पलायन और उस पर टीवी चैनल्स के समाचार, गरीबों की चिंता, भूख का व्यापार... जैसी समस्याओं को बढ़ाया जा रहा है। पर्दे के पीछे टुकड़े-टुकड़े गैंग भी सक्रिय हो चुकी हैं।
बसों में भरकर-भरकर मजदूर यूपी बॉर्डर पर छोड़े जा रहे हैं।
6 हफ्ते गुजर गए 800 के आस-पास कोरोना संक्रमित, लगभग 20 की मौत उसमें भी 80% की मुख्य वजह कोरोना नहीं, ऊपर से 135 करोड़ की आबादी का देश, ये तो चीन निर्मित "बायलोजिकल हथियार" की घोर बेइज्जती थी देवभूमि भारत में।
जहाँ एक तरफ कुछ दिनों तक चीनी वायरस चीनी वायरस चिल्लाने वाला सुपर पावर अमेरिका सरेंडर कर शैतान जिंगपिंग की तारीफ़ पर उतर आया तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना के कहर से कराह रहा पूरा यूरोप भारी खरीददारी कर रहा था चीन से, परंतु ये क्या दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट उसे घास नहीं डाल रही थी, शैतान चीन के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखने लगीं, उसे लगा कि उसका मिशन सिंहासन (कोरोना) तो फेल ही हो जायेगा यदि भारत उसकी शरण में नहीं आया तो, वहीं दूसरे ही स्टेज में एक दिन का जनता कर्फ्यू फिर 21 दिनों का लाकडाऊन कर पूरा देश अपने नायक के पीछे चल रहा था, अतंत: चालाक चीन ने अपना आखिरी पासा फेंका, और भारत की सबसे कमजोर नस को दबा दिया, जी हाँ, उसने खोला अपने खजाने का मुँह और खरीद लिया देश के कुछ बड़े देशद्रोहीयो को और जगा दिया वामपंथ के स्लीपर सेल्स को, पहले 21 दिनों तक गरीब दिहाड़ी मजदूर कैसे रहेंगे का रोना रोया जाना शुरू किया गया फिर एक-दो परिवारों की पैदल यात्रा का 24 घंटे एैसे कवरेज किया जाने लगा कि जैसे पूरा देश ही पैदल चल पड़ा हो, फिर धर्म के नाम पर एक संप्रदाय विशेष को मोर्चे पर लगा दिया गया, अब ये चाल सफल होती दिख रही है, कुछ झूठे नक्सली नेता आम मजदूरों को भड़का कर कि 6 महीने का कर्फ्यू लगने वाला है, बसों से दूसरे प्रदेश की सीमाओं तक लाखों मजदूरों को छोड़ने लगे, और सफल कर दिया शैतान की चालों को, देश को बैठा दिया जाग्रत ज्वालामुखी के मुहाने पर, वहीं पैदल मार्च करने वालों के लिए कुछ लोगों की छाती में दूध उतर आया जो सोशल मीडिया पर सिर्फ विरोध के नाम पर विरोध करते रहते हैं, जब देश युद्ध या किसी बड़े संकट में फँसता है तो हर नागरिक युद्ध का हिस्सा होता है, हर नागरिक को परेशानी उठानी पड़ती है, हर नागरिक को त्याग करना पड़ता है, युद्ध सिर्फ सेनायें ही नहीं लड़ती हैं,
परंतु गद्दारों और बिकाऊ लोगों की प्रचुर उत्पादकता से गमगीन ये देश ऐसी परिस्थिति का हर समय से ही सामना करता आया है, सुनों हम फिर भी जीत जायेंगे, हमने ही विश्व विजेता सिकंदर को उल्टे पाँव वापस किया है, हम शैतान चीन की हर चाल का जबाब देंगे, वो भी भरपूर, परंतु देश के अंदर ही कुछ लोग और संस्थायें एक बार फिर सड़कों पर नंगी हो रही हैं जिन्हें देखना और सुनना बहुत कष्टदायक है!