एक चीनी आदमी को बेची गई पाकिस्तान की 19 साल की नताशा मसीह ने अपनी मां को फोन किया, लेकिन बता नहीं पा रही थी कि चीन में उसके साथ क्या-क्या हो रहा है.
नताशा (दाएं) खुश है कि वह अपने घर वापस आ पाई. नताशा ने पाकिस्तान में अपने घर यह बताने के लिए फोन किया था कि उसका नया पति किस कदर उसका शोषण कर रहा है. आखिरकार वह फूट फूट कर रोने लगी और उसने अपनी मां को पूरा किस्सा बताया. वह अपनी मां से गुहार लगा रही थी कि मुझे वापस बुला लो. नताशा ने बताया कि उसके पति ने उसे चीन के एक दूर दराज के इलाके में एक होटल में छिपा रखा है और वह कई हफ्तों से उसे अन्य लोगों के साथ सेक्स करने को मजबूर कर रहा है. नताशा के मुताबिक उसके पति ने उससे कहा, "मैंने तुम्हें पाकिस्तान में खरीदा था. तुम मेरी हो. मेरी प्रॉपर्टी हो."
जहां भी हो सकता था, नताशा की मां ने वहां जाकर मदद की गुहार लगाई. वह फैसलाबाद के झुग्गी बस्ती इलाके में बने एक छोटे से चर्च में गईं. वहां मौजूद लोगों ने 1,100 किलोमीटर दूर बैठी नताशा को होटल से छुड़ाने की योजना बनाई.
वैसे नताशा अकेली नहीं हैं. मोटी रकम के एवज में चीनियों से सैकड़ों पाकिस्तानी लड़कियों की शादियां की गई हैं. अपनी बेटी का सौदा करने वाले लोग ज्यादातर ईसाई परिवारों के होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति पाकिस्तान में बहुत ही खराब है.
दुनिया के सबसे बड़े देह बाजार इंडोनेशिया: 2.25 अरब डॉलर
इंडोनेशिया में देह व्यापार गैरकानूनी है. इसे नैतिक अपराध माना जाता है. लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में देह व्यापार काफी फैला हुआ और संगठित है. यूनिसेफ के मुताबिक इंडोनेशिया में देह व्यापार से जुड़ी 30 फीसदी युवतियां नाबालिग है.
समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट में पहले बताया गया है कि किस तरह ईसाई पादरी, पाकिस्तानी और चीनी दलाल मिल कर इस धंधे में पैसा बना रहे हैं. पैसे के लालच में आकर परिवार चीनी नागरिकों के साथ अपनी बेटियों को भेज देते हैं और चीन में जाकर उनके दमन और शोषण की खबरें आती हैं.
पुलिस की छानबीन बताती है कि ऐसी बहुत सारी पाकिस्तानी लड़कियों को चीन में ले जाकर उनसे देह व्यापार कराया जाता है. पाकिस्तानी जांच एजेंसी के छापों में हाल में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया जो इस तरह के गिरोह चलाते हैं. एक अधिकारी ने बताया, "एक पीड़ित लड़की से बात करने पर पता चला कि उनका वहां शोषण होता है." पुलिस की जांच इंसानी तस्करी के बड़े मामलों की तरफ इशारा करती है लेकिन पाकिस्तानी सरकार इस बारे में लगभग खामोश है.
वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच अधिकारियों से इस बारे में चुप्पी बनाए रखने को कहा, क्योंकि वे नहीं चाहते कि इसकी वजह से चीन के साथ पाकिस्तान के आर्थिक संबंध खतरे में पड़ें. दो अधिकारियों ने अपना नाम ना जाहिर करने की शर्त पर यह बात बताई.
पाकिस्तान में चीन अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. 75 अरब डॉलर की लागत से वहां चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर बनाया जा रहा है. पाकिस्तान को लगता है कि यह परियोजना उसके लिए आर्थिक संभावनाओं के नए द्वार खोलेगी.
चीन में पाकिस्तानी राजदूत ने स्थानीय टीवी चैनलों से कहा कि लड़कियों को तस्करी के जरिए चीन में नहीं लाया जा रहा है और ना ही उन्हें देह व्यापार में धकेला जा रहा है. हाल में पाकिस्तान का दौरा करने वाले चीनी उप राष्ट्रपति ने भी इंसानी तस्करी से इनकार किया. लेकिन पाकिस्तान में ईसाई समुदाय के एक कार्यकर्ता सलीम इकबाल कहते हैं, "चीन इनकार करता है कि ऐसा हो रहा है, लेकिन हमारे पास सबूत हैं." उन्होंने कई लड़कियों को चीन से वापस लाने में मदद की है और इस बारे में सबूत जमा किए हैं और पुलिस को सौंपे हैं.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और मानवाधिकार कार्यकर्ता इजाज आलम आगस्टीन का अनुमान है कि लगभग 500 पाकिस्तानी महिलाओं को तस्करी के जरिए चीन ले जाया गया है. वहीं इकबाल इनकी संख्या 750 से 1000 हजार बताते हैं.
जांचकर्ताओं ने हाल के दिनों में ऐसी कई लड़कियों से पूछताछ की जिन्हें चीनी नागरिकों को बेचा गया था. इनमें से एक सुमेरा भी है जिसे उसके भाइयों ने बेचा था. वह बताती है कि अपने चीनी पति के यहां से भागने के बाद महीनों तक वह खामोश रही. यहां तक कि उसने जांचकर्ताओं से भी बात करने से मना कर दिया था. लेकिन अब वह अपनी बात कह रही है. उसका कहना है, "अगर मैंने पहले बता दिया होता कि मेरे साथ क्या हुआ है तो हो सकता है कि दूसरी बहुत सी पाकिस्तानी लड़कियों को बचा लिया जाता. लेकिन मैं बहुत डरी हुई थी. मुझे अपने भाइयों का डर था. लेकिन अब मैं चाहती हूं कि जो मेरे साथ हुआ, दूसरी लड़कियों के साथ ना हो."
अब सुमेरा तीस साल की है और पाकिस्तान के शहर गुजरावालां की एक ईसाई बस्ती में एक ब्यूटी पार्लर चलाती है. वह बताती है, "जो आप देख रहे हैं, मैं उससे काफी अलग हुआ करती थी. मेरे पास उम्मीद थी. मुझे अपने भविष्य पर भरोसा था. अब मुझे कुछ नहीं पता."
एजेंटों से पैसे लेने के बाद पिछले साल जुलाई में सुमेरा के भाइयों ने उसे शादी करने के लिए मजबूर किया. उसके पति ने पहले तो उसे इस्लामाबाद में एक मकान में रखा. सुमेरा बताती है कि उसे लगभग एक हफ्ते वहां रखा गया और हर रात चीनी पुरुष उसका बलात्कार करते थे.
चीन जाने से पहले सुमेरा ने अपनी चीनी पति को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वह एक बार अपनी बहनों से मिलना चाहती है. वह कहती है, "जब मैं अपने घर पहुंची तो मैं अपने भाइयों पर चिल्लाई. मैंने कहा कि मुझे क्यों बेचा, उस पैसे से तुमने क्या किया?" सुमेरा के भाइयों ने उसे पीटा, लेकिन वह भाग कर अपने एक रिश्तेदार के यहां जाने में कामयाब रही.
इन देशों में कानूनी है देह व्यापार : नीदरलैंड्स और बेल्जियम
देह व्यापार में एम्सटर्डम का रेड लाइट एरिया शायद दुनिया का सबसे मशहूर हिस्सा है. अन्य देशों से विपरीत, जहां लोग छिप छिपा कर रेड लाइट एरिया में जाते हैं, एम्सटर्डम में टूरिस्ट खास तौर से इस इलाके को देखने पहुंचते हैं. बेल्जियम में भी देह व्यापार कानूनी है.
नताशा वसीह भी फैसलाबाद के एक ईसाई इलाके वसीरपुरा में रहती है. यहां रहने वाले ज्यादातर लोग घरों में काम करके अपने पेट पालते हैं. नताशा शादी नहीं करना चाहती थी. लेकिन वह कहती है, "मैं क्या करती, मेरा परिवार गरीब है." नताशा के पिता के एक दोस्त ने उन्हें मशविरा दिया कि बेटी की शादी किसी चीनी व्यक्ति से कर दें. नताशा के परिवार को पैसों की जरूरत थी जिसमें नताशा के अलावा चार बेटियां और हैं. नताशा कहती है कि शादी से इनकार करने का विकल्प उसके पास था ही नहीं.
नवंबर में नताशा का पति उसे चीन के पश्चिमोत्तर इलाके में ले गया. पहले उसे जंगल वाले एक इलाके में बने छोटे से मकान में रखा गया. वहां ना तो किचन थी और ना ही बाथरूम. नताशा को पता चला कि उसी घर में दो महिलाएं और तीन पुरुष भी रह रहे थे जो उसके पति के दोस्त थे. जल्द ही नताशा का पति उसे उन पुरुषों के साथ सेक्स करने पर मजबूर करने लगा.
इसके बाद नताशा का पति उसे पास के शहर उरुमछी के एक लग्जरी होटल में ले गया. वहां उसने नताशा को एक कमरे में बंद कर दिया और उससे देह व्यापार कराने लगा. नताशा बताती है, "हमेशा दो-तीन लोग वहीं रहते थे. उनके अलावा कई और लोग भी आते थे. वह मुझे उन सबके साथ सेक्स करने को कहता था. मैं नरक जैसे हालात में रह रही थी. चुपचाप रहती थी और बस वहां से निकलने की दुआ मांगती थी." इसी होटल से नताशा ने अपने माता पिता को फोन किया था.
फैसलाबाद में चर्च के एक सदस्य फारूक मसीह ने नताशा की मदद करने के लिए एक ग्रुप बनाया. मसीह बताते हैं कि वे समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे नताशा को छुड़ाए. तभी ग्रुप के एक सदस्य ने बताया कि उसका भाई चीन में पढ़ रहा है. यह छात्र नताशा के पति से संपर्क करने को तैयार हो गया है. उसने ग्राहक बनकर नताशा के पति से बात की और पैसे देकर नताशा के साथ सोने की इच्छा जताई. नताशा तक पहुंचने के लिए यह सब किया गया.
छात्र ने नताशा को मैसेज भेजा कि वह उसे बचाने के लिए आ रहा है. उसने नताशा से सारी जानकारी ले ली कि कब उसका पति होटल में आता है और कब चला जाता है. आखिरकार वह दिन आया. छात्र ने नताशा को फोन किया और होटल से बाहर आने को कहा, जहां वह टैक्सी में उसका इंतजार कर रहा था.
नताशा कहती है, "मैंने उसे देखा और जल्दी से अपने कपड़े समेटे और टैक्सी में जाकर बैठ गई. मैंने उसका नाम नहीं पूछा. कुछ नहीं पूछा. बस इतना कहा, शुक्रिया भाई." और जल्द ही वह पाकिस्तान जाने वाले विमान पर सवार थी.
फारूक मसीह तब से और लड़कियों को इस मकड़जाल से बचाने में मदद कर रहे हैं. इसी बीच, नताशा भी अन्य लड़कियों के साथ अपने अनुभव बता रही है ताकि वे इसमें ना फंसे. साथ ही वह जांचकर्ताओं से भी बात कर रही है. उसने ऐसी भी खबरें सुनी हैं कि उसका चीनी पति फिर पाकिस्तान आया है और वह किसी और लड़की से शादी करने की फिराक में है.
नताशा कहती है, "मैं किस्मत वाली हूं. बहुत सारी लड़कियां जिन्हें उनके पति चीन में ले गए, वे अब भी उन्हीं भयानक हालात में रह रही हैं. अब मुझे पता है कि आजादी क्या होती है और गुलामी क्या होती है. चीन में मेरे पति ने मेरे साथ गुलामों जैसा बर्ताव किया था."