आधी रात में गैस लीक और चारों ओर तबाही का मंजर........

1-विशाखापट्टनम में गुरुवार तड़के लगभग 2.30 बजे गैस रिसाव शुरू हुआ. उस वक्त लोग गहरी नींद में थे और उन्हें सांस लेने में भारी दिक्कत महसूस हुई. कई लोग नींद से अचानक जगे और बाहर भागने लगे. भागने के क्रम में लोग बेहोश हो गए. बाद में घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने इधर-उधर गिरे लोगों को अस्पताल पहुंचाया. कई लोगों को नींद से जगाकर बाहर निकाला गया.

3-ग्रेटर विशाखापट्टनम नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक, "कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण बंद हुई केमिकल यूनिट को गुरुवार सुबह फिर से शुरू किया गया. कुछ समय बाद टैंकों में जमा गैस लीक होने लगी और तीन किलोमीटर के दायरे में फैल गई." अधिकारियों के अनुसार, "स्टाइरीन और पेंटाइन गैसें संभवत: दुर्घटना का कारण बनीं."
4-एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान ने एक निजी न्यूज़ चैनल को बताया कि उन्हें घटना की सूचना सुबह 5.30 बजे मिली. आधे घंटे में टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है. आसपास के गांव से करीब 250 परिवारों को निकाला गया. साथ ही डोर टू डोर सर्च ऑपरेशन चलाया गया. कंपनी के कंपाउंड से 500 लोगों को निकाला गया. इसमें कुछ लोगों की हालत गंभीर है. इसके साथ ही, एनडीआरएफ की एक्सपर्ट टीम को पुणे से विशाखापट्टनम बुलाया गया है.
5-एनडीआरएस के महानिदेशक एसएन प्रधान ने बातचीत में कहा की विशाखापट्टनम में लगातार इवेक्युएशन (फंसे लोगों को बाहर निकालना) का काम चल रहा है. एनडीआरएफ की टीम वहां पर मौजूद रहेगी. गैस लीकेज की वजह से अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक 11 लोगों की मौत हुई है और 20 से 22 लोग गंभीर हैं. बाकी लोगों को अस्पतालों में पहुंचाया गया है. एनडीआरएफ की बायोलॉजिकल टीम अलग-अलग इलाके में जहां पर गैस का प्रभाव हो सकता है, वहां पर घर-घर जाकर छानबीन कर रही है. एक अधिकारी उस पूरे इलाके का दौरा भी कर रहा है.


8-आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने अमरावती में अपने शीर्ष अधिकारियों के साथ एक आपात बैठक की. इसके बाद वे विशाखापट्टनम में चल रहे बचाव कार्यों की देखरेख के लिए व्यक्तिगत रूप से रवाना हुए. इस दुर्घटना ने साल 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी है. विशाखापट्टनम की गलियों और अस्पतालों में लोग दहशत में नजर आए. सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के बाद लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.

10-मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने गैस लीक के मृतकों के परिजनों के लिए 1 करोड़ रुपये सहायता राशि देने का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है जो घटना के कारणों की जांच करेगी और मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी. आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया है कि वह कंपनी से बात कर मृतकों के परिजनों को कंपनी के ही किसी प्लांट में नौकरी दिलाने की अपील करेगी. गैस लीक के कारण जो लोग वेंटिलेटर पर हैं, उनके लिए मुख्यमंत्री ने 10 लाख रुपये सहायता राशि देने की घोषणा की.
आखिर कैसे हुआ विशाखापट्टनम गैस लीक हादसा?
विशाखापट्टनम गैस लीक हादसे में मरने वालों आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया है. शुरुआती जांच रिपोर्ट में पता चला कि गैस वॉल्व में दिक्कत के कारण हादसा हुआ. गुरुवार सुबह 2.30 बजे गैस वॉल्व खराब हो गया और जहरीली गैस लीक कर गई. फिलहाल, यह शुरुआती जांच रिपोर्ट है. अभी अधिकारियों की पूरी टीम मामले की जांच करेगी.
मामले की प्रारंभिक जांच कर रहे एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, अभी तक पता चलता है कि गैस के लिए वॉल्व नियंत्रण को ठीक से संभाला नहीं गया था और वे फट गए, जिससे रिसाव हुआ. इसके साथ ही फैक्ट्री के आसपास के इलाकों के स्थानीय ग्रामीणों ने फैक्ट्री का कोई सायरन नहीं सुना. इस वजह से हादसे की चपेट में अधिक लोग आ गए.
विशाखापट्टनम में
अपने संयंत्र में एक बड़े गैस रिसाव के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में
एलजी केम ने कहा है कि गैस रिसाव की स्थिति अब नियंत्रण में है और पीड़ितों
को शीघ्र उपचार प्रदान करने के सभी तरीके अपनाए जा रहे हैं. कंपनी ने कहा
कि हम मामले की जांच कर रहे हैं ताकि रिसाव और मौतों का सटीक कारण पता चल
सके.
गौरतलब है कि विशाखापट्टनम में एक फैक्ट्री के प्लांट से हुए गैस रिसाव ने आज खलबली मचा दी. गैस का ऐसा रिसाव हुआ कि प्लांट के आसपास के दायरे में हड़कंप मच गया. दम घुटने से लोगों में अफरातफरी मच गई. सड़कों पर लोग बेहोश होकर गिरने लगे. गैस कांड में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 316 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं.
बताया जाता है कि हादसे के वक्त प्लांट में करीब दो हजार लोग मौजूद थे. गैस से जब सांस उखड़ने लगी तो बदहवाशी में लोग भागने लगे. इस कोशिश में कुछ लोग पास के नाले में भी गिर गए, तो कई लोग सड़कों पर बेहोश हो गए. इस वजह से राहतकर्मियों को पहुंचने में मुश्किलें पेश आईं.
जहरीली गैस का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर देखा गया. आसपास के अस्पताल गैस से बीमार हुए लोगों से भरे परे हैं. गैस का असर करीब तीन किलोमीटर के दायरे में देखा गया. इसका असर ऐसा था कि आसपास के इलाके के कई मवेशी भी बेहोश हो गए. इस पर सुबह 10 बजे से पहले ही काबू कर लिया गया, समाचार लिखे जाने तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है .
विशाखापट्टनम गैस लीक हादसे में मरने वालों आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया है. शुरुआती जांच रिपोर्ट में पता चला कि गैस वॉल्व में दिक्कत के कारण हादसा हुआ. गुरुवार सुबह 2.30 बजे गैस वॉल्व खराब हो गया और जहरीली गैस लीक कर गई. फिलहाल, यह शुरुआती जांच रिपोर्ट है. अभी अधिकारियों की पूरी टीम मामले की जांच करेगी.
मामले की प्रारंभिक जांच कर रहे एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, अभी तक पता चलता है कि गैस के लिए वॉल्व नियंत्रण को ठीक से संभाला नहीं गया था और वे फट गए, जिससे रिसाव हुआ. इसके साथ ही फैक्ट्री के आसपास के इलाकों के स्थानीय ग्रामीणों ने फैक्ट्री का कोई सायरन नहीं सुना. इस वजह से हादसे की चपेट में अधिक लोग आ गए.

गौरतलब है कि विशाखापट्टनम में एक फैक्ट्री के प्लांट से हुए गैस रिसाव ने आज खलबली मचा दी. गैस का ऐसा रिसाव हुआ कि प्लांट के आसपास के दायरे में हड़कंप मच गया. दम घुटने से लोगों में अफरातफरी मच गई. सड़कों पर लोग बेहोश होकर गिरने लगे. गैस कांड में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 316 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं.
बताया जाता है कि हादसे के वक्त प्लांट में करीब दो हजार लोग मौजूद थे. गैस से जब सांस उखड़ने लगी तो बदहवाशी में लोग भागने लगे. इस कोशिश में कुछ लोग पास के नाले में भी गिर गए, तो कई लोग सड़कों पर बेहोश हो गए. इस वजह से राहतकर्मियों को पहुंचने में मुश्किलें पेश आईं.
जहरीली गैस का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर देखा गया. आसपास के अस्पताल गैस से बीमार हुए लोगों से भरे परे हैं. गैस का असर करीब तीन किलोमीटर के दायरे में देखा गया. इसका असर ऐसा था कि आसपास के इलाके के कई मवेशी भी बेहोश हो गए. इस पर सुबह 10 बजे से पहले ही काबू कर लिया गया, समाचार लिखे जाने तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है .