
आपको बता दे की 1954 में जम्मू कश्मीर सरकार ने दूसरे राज्यो खासकर पंजाब, हिमाचल से करीब 4000 दलित लोगों को जम्मू कश्मीर बुलाया था और उन्हें सफाई कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया था। असल में इसका कारण यह था की मुस्लिमों की यह मान्यता है कि इस्लाम कभी सफाई कर्मचारी बनने की अनुमति नहीं देता। साथ ही मुस्लिमो का यह मानना है कि इससे वह नापाक हो जाएंगे क्योंकि यदि वह दूसरों के मल मूत्र को टच करेंगे।
दूसरी और जम्मू कश्मीर में सफाई के लिए गए इन दलितों को 1956 से आज तक न राज्य की नागरिकता मिली और न हीं वहां पर दलित उत्पीड़न एक्ट लागू हुआ, और न हीं इन्हें आरक्षण का लाभ मिला बल्कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ सफाई कर्मचारी बन कर रह गए।
यह जो ऐड है यह पाकिस्तानी रेंजर ने पाकिस्तान के अखबार डॉन ने दिया है आप इसमें देखिए सफाई कर्मचारी में साफ-साफ लिखा है कि कोई नान मुस्लिम ही अप्लाई करें।