मोदी सरकार के अभी तक के कार्यकाल में भारत में क्या-क्या हुआ?
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मोदी सरकार के अभी तक के कार्यकाल में भारत में क्या-क्या हुआ?

  मोदी सरकार की एक विशेषता देखने में आई है। इनके निर्णय गफलत भरे होते हैं, उन पर गहन विचार विमर्श किया हुआ नहीं होता है। परिणामस्वरूप वे जहां आलोचनाओं के शिकार होते हैं, वहीं लगा तीर नहीं तो तुक्का वाली स्थिति उत्पन्न हो जाती है। आइये नजर डालें उन निर्णयों पर…

  • जब कांग्रेस की सरकार थी, विदेशों से काला धन लाये जाने का बेहद शोर किया गया था। इसे इतना बतलाया गया था कि हर भारतवासी के खाते में 15-15 लाख रुपये आ सकते है। कांग्रेस ने इस पर कार्रवाई करना शुरू किया। जहां विदेशों में यह धन कम होने लगा, वहीं जमाकर्ताओं की सूची भी प्राप्त कर ली। यह सूची लोकसभा चुनाव के कुछ ही समय पहले प्राप्त हुई थी। उनके हार जाने पर कार्रवाई मोदी सरकार को करनी थी। इस पर अब क्या हो रहा है, शायद ही कोई जानता हो? अलबत्ता छिटपुट खबरों से यह जरूर पता चल गया है कि यह विदेशी बैंकों में पुनः बढने लगा है।
  • सरकार बनने से पहले लोगों को बतलाया गया था कि हर साल दो करोड़ रोजगार उत्पन्न किये जायेंगे। हालत यह हुई पडी है कि लोग रिटायर होकर जगहें खाली होती जा रही है। वे तो आसानी से भरी नहीं जा पा रही है। नये रोजगार तो क्या उत्पन्न हुए?
  • सरकार बनने के बाद बडा अच्छा विचार था कि 100 स्मार्ट शहर बनेंगे जो धीरे-धीरे बढाये भी जायेंगे। इसी तरह हर सांसद एक-एक गांव गोद लेकर उन्हें विकसित करेंगे। क्या हालत है, शायद ही कोई जानता हो?
  • देश में काला धन निकालने के लिये नोटबंदी की गई थी। वह तो निकल न पाया। फजीहत छुपाये जाने को दूसरे लाभ अवश्य बताये जा रहे है। इससे देश की अर्थव्यवस्था का क्या हाल हो गया है, बताने की जरूरत नहीं है? यह आजतक नहीं संभल पाई है।
  • जीएसटी एक ऐसी कर प्रणाली है जो लगभग 160 देशों में सफलता पूर्वक चल रही है। पहले कांग्रेस इसे ला रही थी, उसे लाने नहीं दिया। खुद लेकर ऐसी आई जो आज तक पटरी पर न आ सकी। इसका वार्षिक करसंग्रह आशानुकूल नहीं बढ पा रहा है। इसका प्रभाव आम लोगों के आयकर पर पडा है जिसकी दो विधायें लागू करनी पड गई। इनमें राहत तो दूर की बात हो गई इनमें यह विकल्प दिया जा रहा है कि जिसमें कम लगे, उसकी गणना करके जमा करें।
  • जम्मू-कश्मीर से चिर परिचित धारा 370 का हटाया जाना एक अच्छा कदम है लेकिन वहां फैला आतंकवाद अभी अनियंत्रित है। इसे दूर करने में समय लगेगा।
  • ऐसी कोई योजना दृष्टिगत नहीं हो रही है जिससे देश की अर्थव्यवस्था बढ सके। इसलिए निजीकरण पर जोर दिया जारहा है। इसमे कितनी सफलता मिल सकती है, सब भगवान भरोसे है?
  • रक्षा सौदे में राफेल खरीदे जा रहे है। इनके यहां निर्माण पर कोई ध्यान नहीं है?
  • कोरोना संक्रमण की स्थिति ऐसी हो गई है कि जब सैकडों में बढ रहा था तब सारे काम धंधे बंद कराकर पूरे देश में लाॅकडाउन लगा दिया। जब हजारों में बढने लगा तब अर्थव्यवस्था की दुहाई देकर खोला गया। यदि प्रारंभ से ही ऐसा होता तो देश की अर्थव्यवस्था तो चौपट न होती।
  • विपक्ष को विश्वास में लिए बिना किसान बिल लाये गये। स्थिति आजतक संभल नहीं पाई है। तरह-तरह की बातें जरूर सुनने को मिल रही है।

         

         तो यह स्थिति है मोदी सरकार की जिसे अभी कई महत्वपूर्ण कार्य अभी और करने है लेकिन उसके साथ उनके लिए चुनौतियां भी कई है।

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