क्या कारण हैं कि कोरोना के मरीज अस्पताल जाने से डरने लगे हैं?
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क्या कारण हैं कि कोरोना के मरीज अस्पताल जाने से डरने लगे हैं?

   कोरोना से उबर रहे या जंग जीत चुके लोगों के लिए भी ब्लैक फंगस इंफेक्शन यानि म्यूकॉरमाइकॉसिस प्राणघातक हो रहा है। ज्यादातर ऑक्सीजन या वेंटीलेटर पर निर्भर रह चुके या कोरोना संक्रमण के दौरान रह रहे मरीजों पर तत्काल इसके मद्देनजर कहीं ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, वरना मृत्यु के आंकड़े कोरोना से मरने वालों की संख्या में भी इजाफा बनेंगे। 
    हालांकि ब्लैक फंगस और कोरोना दो अलग-अलग बीमारियां हैं- इसके कारण, इलाज और लक्षण भी अलग हैं, लेकिन कोरोना से गृसित मरीजों जिनकी इम्युनिटी पहले से ही कमजोर है, उनके प्रति जरा सी भी लापरवाही जानलेवा बन सकती है। 
    जानकारों का कहना है कि अस्पताल में इलाज कराने की नौबत आने पर म्यूकॉरमाइकॉसिस होने की आशंका बढ़ रही है। हॉस्पिटलों में इलाज़ के दौरान कोरोना संक्रमित मरीज़ों का निरंतर एक ही मास्क का लगाए रखना या वेंटीलेटर पर रखे मरीज़ों को दी जा रही ऑक्सीजन में नमी की मात्रा इस संक्रमण का बड़ा कारण साबित हुई है। चूंकि कोरोना मरीजों के अस्पताली इलाज के दौरान ही यह बीमारी हावी हो रही है इसीलिए इसको लेकर अब चर्चा और मंथन भी जोरों पर है। यही कारण रहा है कि हॉस्पिटलों में बढ़ती हुई मरीज़ो की संख्या के कारण हावी हुई अव्यवस्थाएं कोरोना और ब्लैक फंगस से हुई मौतों का बड़ा कारण बनी। इसी वजह से अब कई संक्रमित लोगों ने अपने घर पर रह कर ही अपना इलाज़ करना लाज़मी समझा है।  

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