सुनार का काम करने वाले लोग GST से क्यों डरते है?
मान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने 10 ग्राम प्योर सोना 50000 रुपये का खjरीदा। उस सोने को लेकर आप सुनार के पास हार बनवाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनवाई लगेगी। आपने खुशी से कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का टांका लगा दिया। क्योंकि बिना टांके के आपका हार बन ही नहीं सकता।
यानी की 1 ग्राम सोना 5000 रुपये का निकाल लिया और 2000 रुपये आपसे बनवाई अलग से लेली। यानी आपको 7000 रुपये का झटका लग गया। अब आपके 50 हजार रुपये सोने की कीमत मात्र 43 हजार रुपये बची और सोना भी 1 ग्राम कम कम होकर 9 ग्राम शेष बचा।
बात यहीं खत्म नही हुई। उसके बाद अगर आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनवाने पुन: उसी सुनार के पास जाते हैं तो वह पहले टांका काटने की बात करता है और सफाई करने के नाम पर 0.5 ग्राम सोना और कम हो जाता है।
अब आपके पास मात्र 8.5 ग्राम सोना ही बचता है। यानी की 50 हजार का सोना मात्र 41500 रुपये का बचा। आप जानते होंगे कि, 50000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनवाई 52000 रुपये।
1 ग्राम का टांका कटा 5000 रुपए + 0.5 ग्राम पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा मतलब सफाई के नाम पर = 2500/= शेष बचा सोना 8.5 ग्राम, यानी कीमत 52000 - 9500 का घाटा .....= 42500 रुपये।
भारत सरकार की मंशा क्या है?
GST लगने पर सुनार को रसीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा और जितने ग्राम का टांका लगेगा उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जैसा कि आपके सोने की तोल 10 ग्राम है और टाका 1 ग्राम का लगा तो सुनार को रसीद के आधार पर 11 ग्राम वजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर है कि अब उनका धोखाधड़ी का भेद खुल जायेगा।