काँगड़ा/हिमाचल प्रदेश।। क्या ये सच है कि अकबर ने ज्वाला देवी मंदिर में एक सोने का छत्र चढ़ाया था, जिसे देवी ने अस्वीकृत कर दिया और वह सोने का छत्र किसी अज्ञात धातु में परिवर्तित हो गया, जो अब भी उसी जगह पर पड़ा है? क्या ये सच है कि अकबर ने ज्वाला देवी मंदिर में एक सोने का छत्र चढ़ाया था, जिसे देवी ने अस्वीकृत कर दिया और वह सोने का छत्र किसी अज्ञात धातु में परिवर्तित हो गया, जो अब भी उसी जगह पर पड़ा है?
जी हां ये बात बिल्कुल सही है। जब भी आप हिमाचल प्रदेश जाएंगे तो आप माता रानी के तेज़ को स्वतः ही अनुभव करेंगे। ज्वाला देवी मंदिर में भी चमत्कार हुआ है, जिसके बारे में अगर हम बात करेंगे।
आप इस मंदिर में जाएंगे तो आप देखेंगे की वहाँ अकबर का चढ़ाया हुआ छत्र भी है जो अब किसी अज्ञात धातु से बना हुआ दिखाई दे रहा है। आपको बता दे की ज्वाला देवी मंदिर में विद्यमान वो छत्र ना तो सोने का है, ना ही चांदी का, ना ही लोहे का।
जेहादी ठरकी मुग़ल बादशाह ने प्रचंड ज्वाला को बुझाने की बहुत की नाकाम कोशिश
जानकारी अनुसार जब अकबर इस मंदिर में आया तो उसे ये बताया गया था वहाँ देवी सती (पार्वती) ज्वाला रूप में विराजमान हैं, यहाँ प्रगट हुई आग कभी भी नहीं बुझती है। वही अपनी ठरकी हरकतों वाले अकबर ने उस ज्वाला को बुझाने की बहुत कोशिश की, उस पर ढेर सारा पानी डलवाया, लेकिन माता रानी को नहीं मिटा सका। आखिरकार उस जेहादी ने हार मान ली।
उसके बाद उसने देवी माँ को सोने का छत्र चढ़ाया। लेकिन उस अकबर जेहादी की हरकतों से माँ जगदंबा तो नाराज़ थीं, इसलिए वो अकबर द्वारा चढ़ाया गया वह छत्र अपने आप ही सोने की बजाए एक अज्ञात धातु में परिवर्तित हो गया। बताते चले की उस छत्र को देखने कई वैज्ञानिक और भू वैज्ञानिक आए लेकिन कोई भी ये नहीं बता सका कि वो छत्र किस धातु से बना है। ये माता रानी की महिमा है। वैसे माँ भवानी की कृपा अच्छे लोगों पर सदैव बनी रहती है।