राजस्थान के भरतपुर के राजा मान सिंह कौन थे? जिनके एनकाउंटर के मामले में मथुरा की अदालत ने ग्यारह पुलिस वालो को दोषी ठहराया गया था? उनका एनकाउंटर के क्या कारण थे?
क्या थी घटना?
इस घटनाक्रम की शुरुआत 20 फरवरी 1985 से शुरू हुई थी। जब राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की चुनावी सभा की 20 फरवरी तय की गई। इस सभा से पूर्व कांग्रेसियों ने राजा मानसिंह के रियासत के झंडे उखाड़ दिए थे। अपने झंडे उखाड़ने से राजा मान सिंह अपनी जोंगा जीप से सीधे मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए वहां पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से उतरे थे। उन्होंने हेलीकॉप्टर को जीप की टक्कर से क्षतिग्रस्त कर दिया। हालांकि उस समय तक मुख्यमंत्री वहां से जा चुके थे। इसके बाद राजा मान सिंह ने मुख्यमंत्री के सभा स्थल पहुंचने से पहले ही जोगा की टक्कर से चुनावी मंच को भी ध्वस्त कर दिया!
मुख्यमंत्री ने टूटे मंच से ही सभा को किया था संबोधित
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने टूटे मंच से ही चुनावी सभा को संबोधित किया और इस घटनाक्रम के लिए पुलिस अधिकारियों की जमकर खिंचाई की थी। इसके बाद पुलिस ने राजा मान सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि अगले दिन 21 फरवरी को जैसे ही राजा मान सिंह लाल कुंडा चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से गुजरे सीओ कान सिंह भाटी के चालक महेंद्र द्वारा पुलिस वाहन को जोगा जीप के सामने खड़ा कर दिया गया। इसके बाद लोगों को सिर्फ फायरिंग सुनाई दी। जोगा जीप में राजा मान सिंह, सुम्मेर सिंह और हरी सिंह के शव मिले थे।
घटना के बाद फैसला आने में 35 वर्ष लग गए
22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार महल के अंदर ही किया गया। 23 फरवरी को विजय सिंह सिरोही ने डीग थाने में सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ राजा मान सिंह समेत दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया था। यह मामला जयपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में भी चला। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मुकदमा वर्ष 1990 में मथुरा न्यायालय स्थानांतरित हो गया। इसे न्यायिक व्यवस्था की लेटलतीफी ही माना जाएगा कि घटना के बाद फैसला आने में 35 वर्ष लग गए।