खतना में पुरूष और स्त्री के साथ क्या किया जाता है?
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खतना में पुरूष और स्त्री के साथ क्या किया जाता है?

Khatna
 खतना में पुरूष और स्त्री के साथ क्या किया जाता है? क्या इससे उनके स्वास्थ्य पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होता है?
  खतना या सुन्नत यहूदियों और मुसलमानों में एक धार्मिक संस्कार होता है. इसमें लड़का (पुरूष) पैदा होने के कुछ समय बाद उनके लिंग के आगे की चमड़ी निकाल दी जाती है. वैसे तो इसका संबंध किसी खास धर्म, जातीय समूह या जनजाति से हो सकता है, लेकिन कई बार माता-पिता अपने बच्चों का खतना, साफ-सफाई या स्वास्थ्य कारणों से भी कराते हैं.
  स्त्रियों का खतना नही होता है लेकिन एक स्टडी के मुताबिक़ भारत सहित दुनिया के 92 देशों में होता है महिलाओं का खतना, यूनिसेफ के अनुमान से कहीं ज्यादा देशों में जारी है यह कुप्रथा, महिलाओं के जननांगों को विकृत करने की परंपरा को फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन या एफजीएम के नाम से जाना जाता है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में अकसर महिलाओं का खतना कहा जाता है। इस प्रक्रिया में महिला के बाहरी गुप्तांग को जानबूझकर काट दिया दिया जाता है या उसे हटा दिया जाता है.
पुरूषों में खतना
  वैज्ञानिकों का कहना है कि खतना किए गए पुरुषों में संक्रमण का जोखिम कम होता है क्योंकि लिंग की आगे की चमड़ी के बिना कीटाणुओं के पनपने के लिए नमी का वातावरण नहीं मिलता है.लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि यह एक हिंसक कृत्य है और शरीर के लिए नुकसानदायक है.
  अगर खतना के नकारात्मक प्रभाव की बात करे तोखतना करने के दौरान कम या ज्यादा चमड़ी उतर जाना, घाव ठीक न हो पाना, हाइपोस्पैडिया, एपिस्पैडिया, संक्रमण, ब्लीडिंग होना, लिंग के छिद्र में सूजन और लालिमा होना, चमड़ी और लिंगमुंड के बीच की त्वचा क्षतिग्रस्त होना और यूरेथ्रा का छिद्र संकुचित होना, जैसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं.
महिलाओं में खतना
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ऐसी कोई भी प्रक्रिया जो बिना मेडिकल कारणों के महिला गुप्तांग को नुकसान पहुंचाती है, वह इस श्रेणी में आती है. यह प्रक्रिया लड़कियों और महिलाओं में ने केवल शारीरिक बल्कि मानसिक नुकसान भी पहुंचाती है.
  महिलाओं को रक्तस्राव, बुखार, संक्रमण और मानसिक आघात जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जबकि कुछ मामलों में तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है। माना जाता है, इसके चलते महिलाओं में अनियमित माहवारी, जीवन भर मूत्राशय की समस्याएं और प्रजनन सम्बन्धी दिक्कतें हो सकती हैं.

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