आंखों की रोशनी ने छिना बचपन, अब चार वर्षीय निर्मल को सरकार से उजाले की उम्मीद
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आंखों की रोशनी ने छिना बचपन, अब चार वर्षीय निर्मल को सरकार से उजाले की उम्मीद

  आसींद/भीलवाड़ा /राजस्थान।। गरीबी में मुसीबत रह-रह कैसे आती है इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि जहा एक चार वर्षीय बालक को पहले आंखों से दिखना बंद हुआ उसे अब पैरों ने भी धोखा दे दिया है। जी हा यह गरीब सुरेश प्रजापत के परिवार ने  थक हार कर अब मुख्यमंत्री सहायता कोष से अपने चार वर्षीय बेटे के इलाज करवाने की गुहार लगाई है।
 
  राजस्थान मे सरकार गरीबों को मुफ्त ईलाज के लाख दावे करे पर राजस्थान में एक चार वर्षीय गरीब बालक की आंखों रोशनी नहीं होने से उसका बचपन अब उसे बोझ लगने लगा है। वह चार वर्षीय निर्मल नाम का गरीब बालक राजस्थान मे सरकार के मुफ्त ईलाज के दावों के बीच सरकार से उजाले की उम्मीद जगाए बैठा है, की अब सरकार उस गरीब की भी सहायता करेगी।
 
  राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद उपखंड क्षेत्र की दडावट पंचायत के अंतर्गत हताण गांव निवासी सुरेश प्रजापत के चार वर्षीय पुत्र निर्मल प्रजापत के आंखों की रोशनी जन्म से ही चली गई, साथ ही निर्मल अपने दोनों पैरों पर खड़े होने में भी समर्थ नहीं है। वही सुरेश प्रजापत के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण महंगे इलाज का खर्च परिवार वहन करने में असक्षम है।
 
  सुरेश प्रजापत दिहाड़ी मजदूरी कर के अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। अपने पुत्र निर्मल की इस अवस्था के कारण अब चिंताग्रस्त सुरेश प्रजापत मजदूरी पर भी नहीं जा पा रहा है। वहीं सुरेश प्रजापत के परिवार ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से इलाज करवाने की गुहार लगाई है। बतादे कि सुरेश के परिवार में चार वर्षीय पुत्र निर्मल, पांच वर्षीय पुत्री फुलवंता एवं चार माह की पुत्री दिव्या सहित परिवार में एकमात्र मज़दूरी करने वाले सुरेश पर मानो दुखों का पहाड़ टुट पड़ा है। 
   
  जानकारी अनुसार 22 वर्ष पहले ही सुरेश के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है, जिससे सुरेश प्रजापत का परिवार गरीबी में जीवन यापन करने को विवश हैं। ग्रामीण प्रवीण कुमार ने बताया की सुरेश प्रजापत के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण मंहगे इलाज करवाने के लिए भारी भरकम खर्च का वहन करना उसके लिए मुश्किल हो गया है। वही परिवार ने अब मुख्यमंत्री सहायता कोष से इलाज करवाने एवं आर्थिक सहायता प्रदान करने की गुहार लगाई है। 

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