“राजमति आदर्श सास शिरोमणि सम्मान” अब पुरस्कार नहीं, अलंकरण बन गया है
बहुओं के कथन कर गए सभी की आंखों को नम
उदयपुर/राजस्थान।। उदयपुर आदर्श सास-बहुओं का शहर है। कोई भी उदयपुर के परिवार में अपनी बेटी दे तो वह निश्चिंत होकर दे सकता है। यह बात इनरव्हील क्लब के तत्वावधान में सास-बहू के स्नेहिल रिश्ते को सार्वजनिक मंच पर सम्मानित करने की परंपरा के तहत “राजमति आदर्श सास शिरोमणि सम्मान”समारोह में इस पुरस्कार की स्थापना की दृष्टा व संयोजक माया कुम्भट ने कही। शुक्रवार देर शाम फतहसागर झील किनारे रोटरी बजाज भवन में आयोजित समारोह में श्रीमती कुम्भट ने कहा कि इंदौर में जब बहू को कोट कर बोरे में भरने की खबर आई थी तब आदर्श सास-बहू पुरस्कार कार्यक्रम की महत्ता प्रतिपादित हुई और इसके प्रसार की भी जरूरत महसूस हुई थी। यह पुरस्कार अब सिर्फ पुरस्कार नहीं रहकर अलंकरण बन गया है। जिसे भी यह पुरस्कार मिलता है, समाज उन सासू मां के आगे आदर्श सास का अलंकरण स्वत:स्फूर्त जोड़ता है। उन्होंने निर्णायक मंडल में शामिल पुष्पा कोठारी, विजयलक्ष्मी चौहान, विजयलता जोशी का आभार व्यक्त करते हुए उपस्थित सभी गणमान्यजनों से बहुओं द्वारा पुरस्कार के निमित्त आवेदन के तहत भेजे गए अनुभवों को पढ़ने का भी आग्रह किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजशास्त्री विजय लक्ष्मी चौहान ने कहा कि भारतीय पारिवारिक व्यवस्था में सास-बहू का संबंध मात्र एक औपचारिक रिश्ता नहीं, अपितु वह आत्मीय सेतु है, जो अनुभव, परंपरा और प्रेम की सरिता से दोनों पीढ़ियों को जोड़ता है। जब यह संबंध संवाद, स्नेह और सम्मान से सिंचित होता है, तो परिवार की नींव सुदृढ़ होती है और समाज में सौहार्द्र व संस्कार की सुगंध फैलती है। वसुधैव कुटुंबकम की भारतीय अवधारणा सास-बहू शिरोमणि का आधार स्तंभ है, जो अंतर व्यक्तित्व संबंधों को मानवता के क्षेत्र में पारिवारिक संस्कृति का उद्घोष करती है l वर्तमान प्रतिस्पर्धात्मक-दौड़भाग के समय में परिवार की यह कड़ी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सोनू सुराणा ने कहा कि ऐसी पहल पीढ़ियों के बीच विश्वास, संवाद और सह-अस्तित्व की भावना को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। इनरव्हील क्लब की यह पहल समाज में यह संदेश देगी कि सास-बहू का रिश्ता संघर्ष नहीं, बल्कि साथ चलने की एक सुंदर यात्रा है। जब सास मां बन जाए और बहू बेटी, तो परिवार एक मंदिर बन जाता है, जहां हर रिश्ता पूज्य हो जाता है।
संस्था की अध्यक्ष चंद्रकला कोठारी ने बताया कि समारोह में इस वर्ष का इनरव्हील राजमति आदर्श सास शिरोमणि 2024–25 का पुरस्कार 95 वर्षीय धापू देवी पगारिया और उनकी बहू 67 वर्षीय सुनीता पगारिया की जोड़ी को प्रदान किया गया। उन्हें विजयमल-राजमती चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से ₹11,000 नकद राशि सहित विभिन्न सहयोगियों की ओर से सोने का पेंडेंट, डिनर कूपन, डेंटल चेकअप, गिफ्ट हैम्पर और अन्य उपहारों से सम्मानित किया गया। चार अन्य माताओं को “आदर्श सास सम्मान” भी प्रदान किया गया। इनमें लक्ष्मी देवी नाहर एवं बहू ज्योति व चेतना नाहर, उर्मिला बोहरा एवं बहू सीमा बोहरा, रतन पालीवाल एवं बहू पूजा पालीवाल व शांता देवी बाफना एवं बहू अनुपमा बाफना की जोड़ियां शामिल रहीं।
संस्था की सचिव एडवोकेट बबीता जैन ने बताया कि यह पुरस्कार 25 वर्षों पूर्व स्थापित हुआ और इस वर्ष इसका सप्तम संस्करण रहा। इसका उद्देश्य समाज में सास-बहू के रिश्तों में सौहार्द्र, संवाद और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन को लेकर कई ने सहयोग प्रदान किया। मुख्य सहयोगकर्ताओं में अलंकार ज्वैलर्स के मोहन मनवानी ने मुख्य विजेता को सोने का पेंडेंट, रूपश्री साड़ी के राकेश जैन ने साड़ियों का सहयोग, शुभलक्ष्मी ज्वैलर्स के राधेश्याम सोनी ने चांदी के फोटो फ्रेम, प्रियंका प्लास्टिक के उपेश जैन मलासिया और किचन किंग के विनोद जैन ने गिफ्ट हैम्पर, डेंटल स्पेशलिस्ट सेंटर, अशोक नगर के डॉ. सुमेर मीणा ने चयनित सभी सास-बहुओं का नि:शुल्क डेंटल चेकअप करने का सहयोग प्रदान किया। इसी तरह, लिटिल इटली रेस्टोरेंट के अशोक जैन डोसी ने विजेता जोड़ी को छह लोगों के लिए और अन्य को 2-2 व्यक्तियों के डिनर कूपन प्रदान किए। इनव्हील क्लब की ओर से सभी सहयोगकर्ताओं का आभार व्यक्त किया गया।
समारोह में बहुओं ने अपने अनुभव भी सुनाए। अनुभव सुनकर सभागार में उपस्थित सभी की आंखें नम हो चलीं। समारोह के बाद तक यही चर्चा चलती रही कि आज परिवार इस कड़ी को फिर से सशक्त करने की आवश्यकता है। वैसे भी महिला घर की धुरी होती है। सास-बहू का प्रेम-वात्सल्य-संस्कार से भरा रिश्ता पूरे परिवार की समृद्धि का आधार बनता है।

