प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ‘बीमारू राज्य’ का दर्जा प्राप्त कर चुके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जहां कुछ अच्छे कामों को करने के बाद सुशासन बाबु का तमगा मिला है तो वहीं इनके गृह जिलें में होने वाले पेंशन घपलाबाजी ने इनकी साख पर फिर से एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. बता दें कि इस राज्य में अभी भी कई ऐसे गरीब हैं ऐसे जिन्हें सरकार से मिलने वाली पेंशन नसीब नहीं होती है, लेकिन नालंदा के बेले पंचायत में सरकार के सगिर्दो द्वारा मरे हुए लोगों को भी पेंशन दिया जा रहा है.
बताया जा हर रहा है कि बेले पंचायत में करीब 200 मृत व्यक्तियों के नाम पर भी पेंशन उठाने का काम किया जा रहा है. इस घपले का खुलासा समाज कल्याण विभाग के बेवसाइट के माध्यम से हुआ है. दरअसल इस पंचायत के राकेश नामक एक युवक की माँ को काफी महीनों से पेंशन नहीं दिया जा रहा था. इसके बाद राकेश ने इस बात का कारण अपने गाँव के मुखिया और संबंधित अधिकारीयों से भी जानना चाहा लेकिन इन लोगों उसे जवाब नहीं मिला.तब उसने समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट से अपने गांव के उन तमाम लोगों की लिस्ट निकाली जिन्हें मौजूदा समय में पेंशन मिल रहा है. उसने पाया इस सूचि में उन लोगों के भी नाम है जो मर चुकें हैं. ऐसे लोगों की संख्या 200 के आस पास है जो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन अभी भी उसके नाम पर पेंशन उठाया जा रहा है. फिर भी उसने सभी लोगों के बारे में जानने के लिए इस लिस्ट के जरिये पुरे गांव का सर्वे किया. हैरानी की बात तो यह है कि राकेश को इसे सर्वे में यह पता चला कि गांव में इन मरे हुए लोगों का एक भी रिश्तेदार नहीं है, इनके बारे में कोई जानता तक नहीं.
जिसके बाद राकेश भी दंग रह गया और उसे यह समझ आ गया कि इन सारे मरे हुए लोगों के पेंशन का पैसा उसके गांव के मुखिया जी के पास ही रह जाता है. राकेश इतने पर ही नहीं रुका इस बात की शिकायत उसने लोकायुक्त कार्यालय और शिकायत निवारण कार्यालय से भी कर दी है. वो इस मामले की जानकारी समाज कल्याण मंत्री के कार्यालय को दे चूका है लेकिन अभी तक उसे मंत्री की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली हैं.

