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कश्मीर में अशांति के बीच करगिल में 'ऑपरेशन-13'

   कश्मीर में सड़कें सुलग रही हैं, आर्मी और अलगाववादी आमने सामने हैं, नतीजा जम्मू कश्मीर के कई हिस्सों में कर्फ्यू और आगजनी जारी है. पिछले कई दिनों से कश्मीर से कोई अच्छी खबर नहीं आई, लेकिन घाटी के ही ऊपरी हिस्से से ऐसे ऑपरेशन की खबर है, जो इंसानियत सिखाती है और बताती है कि घाटी में झगड़े फसाद के अलावा भी करने के लिए बहुत कुछ है. करगिल में लोगों को ईलाज मुहैया करने के इरादे से दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों की एक टीम घाटी के शिखर पर पहुंची है.
      जो ऑपरेशन या सर्जरी दिल्ली में भी आसान नहीं होती, उन सर्जरी को करगिल जैसे इलाके में करना किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन मरीज़ों की उम्मीद भरी आंखों ने डॉक्टर्स की टीम में भी जोश भर दिया. एम्स के ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के डॉ. सीएएस यादव की अगुवाई में तीन दिन में 13 मरीजों के घुटनों का रिप्लेसमेंट किया गया और तीन दिन में मरीज अपने पैरों पर खड़े होने में कामयाब हो गए. डॉ यादव का नाम 11 हजार फीट की ऊंचाई पर ज्यादा से ज्यादा नी रिप्लेसमेंट करने के लिए लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है. डॉ. यादव के मुताबिक 'करगिल में ऑपरेशन करने का मतलब था कि करीब आधा टन वजनी ऑपरेशन थियेटर का सामान अपने साथ दिल्ली से ले जाना पड़ा, जिसमें महंगे इम्लांट भी शामिल थे.'
     26 जुलाई को देश करगिल विजय दिवस मनाएगा, लेकिन करगिल में मरीजों के होंठों पर मुस्कान लाकर डॉक्टर्स ने करगिल का दिल जीत लिया और सच्ची श्रद्धांजलि उन जवानों को दी, जिन्होंने करगिल पर कब्जे के पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नाकाम करने में अपनी जान न्योछावर कर दी थी.