


सहरसा।। जिले के सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र के सलखुआ प्रखंड के बनाही मुशहरी टोला में चालीस रूपये किलो बिक रहा है चूहा। लोग इसे धड़ल्ले से लेते है और बड़े ही चाव से खाते भी हैं। करीब डेढ़ सौ घर वाले इस टोला के चारों तरफ कोसी का पानी लबालब है सो बाहर से अन्य खाद्य सामग्रियों का आना भी मुश्किल है। लोगों का कहना है कि तीन दिनों से पानी में घिरे रहने के बावजूद सरकारी सहायता नहीं के बराबर उपलब्ध करायी गयी है। ऐसी स्थिती में चूहा भोजन का मुख्य आहार बना हुआ है।
बीडीओ ने कहा अनाजों का नियमित हो रहा है वितरण-
बनाही मुशहरी टोला उसी कबिरा धाप पंचायत का हिस्सा है जो गीता नामक लड़की को लेकर देश दुनिया की सुर्ख़ियों में काफी दिनों तक छाया हुआ था। हालांकि सलखुआ के बीडीओ बिभेष आनंद का मानना है की अभी ऐसी बाढ़ की नौबत नहीं है जिसमे चूहा ही भोजन का एकमात्र आहार हो। उन्होंने बताया कि अनाज का वितरण नियमित हो रहा है और गुरूवार से तीन दिनों तक इसे बांटने का डीलरों को विशेष निर्देश दिया गया है
लोगों का आरोप नहीं मिली सरकारी सहायता-
यह बात और है कि अभी तक रिलीफ का वितरण नहीं शुरू किया जा सका है। जिला मुख्यालय से 44 और प्रखंड मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर मुशहरी टोला के प्रभु सादा, अंगूरी सादा,रामोतार सादा, गूगल सादा और रामविचार सादा का कहना है कि तीन दिनों से टोला से कही निकलने तक का साधन नहीं है। अनाज या अन्य सामान तो मिलना मुश्किल है। आदमी की मज़बूरी है कि वह चूहा खाने पर विवश है।
बेचन सादा का कहना है कि वह दिन भर में दस बारह किलो चूहा पकड़ या मार लेता है। बेचन की तरह और भी है जो चूहा मारकर इसे चालीस रूपये किलो बेच भी लेता है और जो नहीं बिकता है वह घर में बनाकर खा लेता हैं।