Breaking News
Loading...

दिव्यांगों को यात्रा से मना नहीं कर सकेंगी एयरलाइंस

    नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स के सेक्शन-3 पार्ट-एम एक में संशोधन कर इस संबंध में नए नियम जारी किए गए हैं.
    नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स के सेक्शन-3 पार्ट-एम एक में संशोधन कर इस संबंध में नए नियम जारी किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि यदि कोई दिव्यांग व्यक्ति टिकट आरक्षित कराते समय ही एयरलाइंस को अपनी विशेष जानकारियों की जरूरत देता है तो एयरलाइंस इसके लिए मना नहीं कर सकतीं.
     विमान सेवा कंपनियों से तीन महीने के अंदर अपनी वेबसाइट पर प्रावधान करने के लिए कहा गया है ताकि विशेष रूप से सक्षम लोगों को उनकी जरूरत की सुविधाओं के चयन का विकल्प भी मिल सके. वेबसाइट पर उन्हें ऐसे लोगों के लिए दी जाने वाली सुविधाओं के साथ विमान के आकार के कारण यदि कोई सीमा हो तो उसके बारे में भी बताना होगा.
     डीजीसीए ने विमान सेवा कंपनियों से साफ शब्दों में कहा है कि वे या उनके एजेंट टिकट बुक कराने में दिव्यांगों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकते. एक बार टिकट बुक हो जाने के बाद वे कोई इनक्वायरी भी नहीं कर सकते.
     वहीं दिव्यांगों को उड़ान के तय समय से कम से कम 48 घंटे पहले अपनी जरूरतों के बारे में एयरलाइंस को सूचित करना होगा ताकि वे सुविधाएँ उन्हें मुहैया कराई जा सकें। हालाँकि, यदि वे 48 घंटे से कम समय रहते भी एयरलाइंस को सूचित करते हैं तो एयरलाइंसों को समुचित प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं. इन जरूरतों में स्ट्रेचर, ह्वील चेयर या जो लोग विमान की आम सीटों पर नहीं बैठ सकते उनके लिए बैठने की विशेष व्यवस्था शामिल है.
    हालाँकि, यह भी निर्देश दिया गया है कि विमान में दिव्यांगों की संख्या केबिन क्रू की संख्या से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसमें उन विकलांगों को नहीं गिना जाएगा, जिनके साथ प्रशिक्षित इस्कॉर्ट मौजूद है.
    हवाई अड्डों को भी दिव्यांगों के लिए सुगम बनाने का निर्देश दिया गया है. टर्मिनल में संकेतक लगाने तथा दिव्यांगों के लिए पार्किंग में जगह आरक्षित करने के लिए भी कहा गया है. मुख्य प्रवेश एवं निकास द्वार पर रैम्प की उपलब्धता जरूरी किया गया है.