
कभी किसी सुनसान हवेली में, कभी खंडहर में, कभी कब्रिस्तान में तो कभी किसी सुनसान बियाबान में, यहां तक कि मुर्दाघर के अंदर भी. मुर्दों के साथ लेट कर वो उनका सच जानने की कोशिश करता था। उनसे बातें किया करता था, पर अफसोस वही गौरव तिवारी अपनी ही मौत को पहेली बना गया। इस बार इस पहेली को सुलझाने की जिम्मेदारी खुद की बजाए दिल्ली पुलिस के जिम्मे छोड़ गया। 32 साल का नौजवान गौरव अमेरिका से प्रोफेशनल पायलट की ट्रेनिंग बीच में छोड़ कर हिंदुस्तान लौट आया था और यहां आकर उसने इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी का गठन किया था।
गौरव की जिंदगी जिन रहस्यों को तलाशने में बीती कुछ वैसे ही रहस्यमयी सवाल अब उसकी मौत के बाद भी उठ रहे हैं। उसको ना तो कोई आर्थिक तंगी थी और ना ही किसी तरह की परेशानी। हाल ही में शादी की और खुश भी था। कोई बीमारी भी नहीं थी। मौत से एक दिन पहले की आखिरी रात भी वो अपने काम पर लगा था।
फिलहाल वो दिल्ली के एक और भुतहा स्थल की जांच कर रहा था। यहां तक कि मरने से बस मिनट भर पहले तक भी बिल्कुल ठीक था। अपने लैपटाप पर मेल चेक कर रहा था. इसके बाद वो अचानक उठ कर बाथरूम जाता है। कुछ देर बाद घर वालों को बाथरूम में कुछ गिरने की आवाज आती है. इसी के बाद जब गौरव के पिता और पत्नी बाथरूम में झांकते हैं तो वो फर्श पर बेसुध मिलता है। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया जाता है, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
पूछताछ के दौरान गौरव की बीवी ने पुलिस को एक अजीब बात बताई। उसने कहा कि उसने मरने से कुछ दिन पहले कहा था कि उसे कुछ निगेटिव ताकतें मरने के लिए मजबूर कर रही हैं। बीवी को तब लगा कि ज्यादा काम की वजह से वो डिप्रेशन में है।