अगर उस तरह के व्यक्ति को सही पोषण और ऑक्सीजन दिया जाए तो कैंसर की कोशिकाएं फिर से स्वस्थ हो जाती हैं। ऐसे 3०% मामलों में कैंसर स्वतः ही ठीक हो जाता है। परन्तु लोग कैंसर में कीमोथेरेपी कराने जाते हैं, इस प्रक्रिया में व्यक्ति के कोशकीय डिवीज़न को रोकने के लिए जहर दिया जाता है जिससे व्यक्ति के पेट में पोषक पदार्थों को सोखने की छमता कम जाती है, और व्यक्ति और भी ज्यादा कुपोषित हो जाता है। कीमोथेरेपी का जहर व्यक्ति के शरीर को बर्बाद कर देता है और शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और व्यक्ति के पूरे शरीर में कैंसर हो जाता है। इस तरह कीमोथेरेपी और रेडिएशन कैंसर को भयानक रूप से फैलाते हैं। जो चिकित्सक कीमोथेरेपी करते हैं उन्होंने किताबों में पढ़ा है कैंसर एक जेनेटिक बिमारी है। और पिछले 60-70 साल से करोड़ों लोग कीमोथेरेपी से मारे जा चुके हैं।
आम लोग प्रथा को मानने वाले होता हैं। वह दूसरे को देखकर निर्णय लेते हैं। आपने सुना होगा बहुत साल पहले बलि प्रथा अथवा सती प्रथा थी। वह भी लोगो की भलाई के लिए किया जाता था। ठीक उसी तरह कैंसर के उपचार में मौत की प्रथा को चिकित्सक और आम आदमी बहुत ही ईमानदारी से निभा रहे हैं। अगर सरकार चाहे तो मैं, डॉ विजय राघवन, उपर्युक्त बातों को साबित कर सकता हूँ। मानवता की रक्षा के लिए और मानवता पर हो रहे अत्याचार को खत्म करने के लिए आम लोगों को चाहिए सरकार को यह पोस्ट दिखाएँ। इस जानकारी को शेयर करें और सरकारों को जरूरी कार्यवाही के लिए मजबूर करें। यह मानवता की भलाई के लिए जरूरी कदम है और लाइलाज बीमारियों का दौड़ ख़त्म करें।
