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एक किसान जिसने अपने दम पर खोला नेत्रहीन बच्चो के लिए स्कूल!

     छ्तीसगढ के रायगढ जिले में एक किसान जो खुद नेत्रहीन है अपने जेसे नेत्रहीन बच्चो के लिए शिक्षा देने के लिए एक स्कूल खोला है! वो ये काम बिना किसी की सरकारी मदद के कर रहा है! उसका ये कहना है की कोई भी नेत्रहीन बच्चे को इतना पढ़ा सकू की वो एक रोजगार पाने लायक बन जाये! उसको रास्तो पर भीख नहीं मांगना पड़े!
  अमलीडीह में इस स्कूल का नाम नेत्रहीन बाल विधा मन्दिर है ! इसके संस्थापक वरुण कुमार प्रधान है! जो बताते है की की जिले में मात्र ये ही एसा आवासीय स्कूल है ! इस स्कूल में 16 वर्ष से कम वाले बच्चे तो जन्म से ही नेत्रहीन है !
    प्रधान ने बत्ताया की उन्होंने खुद ने दो लाख रुपय और दान दाताओ के सहयोग से बिना किसी सरकारी मदद के अपनी बेटी के साथ मिलकर इस आवासीय नेत्रहीन स्कूल का संचालन शुरू किया है! प्रधान के बेटी हिमानी (19) इस स्कूल की प्रधानाध्यापक है और खुद भी छात्रा है! उन्होंने बताया की नेत्रहीन बच्चे को प्रतिदिन 6 घंटे की शिक्षा के साथ 2 घंटे खेलकूद और संगीत भी सिखाते है !
    संस्था का एक ही उददेश है की कोई भी नेत्रहीन बच्चा को किसी भी तरह की मज़बूरी वश भी सडक पर खड़ा होकर भीख नहीं मांगना पड़े और शिक्षा पाकर वो रोजगार पा सके!