जयपुर की हिंगोलिया गौशाला में दो सप्ताह में 500 गायों की मौत हो चुकी हैं।जयपुर।। देश में गौ रक्षा को लेकर बड़ा अभियान चला हुआ है। देशभर में फैला गौरक्षा संगठन तो अब इसके लिए मरने-मारने पर भी उतारू हो चुका है लेकिन क्या सच में देश में गायों को बचाने की मुहिम में गंभीरता है या फिर गौ रक्षा के नाम पर जातीय और सांस्कृतिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है। सच जानना है तो राजस्थान चलिए, जहाँ की सीएम वसुंधरा राजे बड़ी गौरक्षक मानी जाती है लेकिन उनके दफ्तर से कुछ किमी की दूरी पर जयपुर की हिंगोलिया गौशाला में दो सप्ताह में 500 गायों की मौत हो चुकी हैं।
कीचड में फांसी गायें (हिंगोनिया गौशाला)
20 गायें रोज मर रही हैं -
कीचड में फंसी गायें तड़प-तड़प कर जान दे रही हैं। डॉक्टरों का कहना है तो 20 गायें रोज मर रही हैं लेकिन सरकार बेफिक्र है। गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने भी साफ़ कह दिया है कि इस घटना के लिए नगर निगम जिम्मेदार है। बीजेपी शासित राज्य राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने साल 2015 में मुख्यमंत्री बनने के बाद गायों को लेकर सक्रियता खूब दिखाई। लोगों को गाय की पूजा करने की शपथ भी दिलाई।
राजस्थान में बाकायदा गौ-मंत्रालय और गौ मंत्री भी बनाया गया। स्कूलों की किताबों में गाय के नाम पर चेप्टर भी शामिल किये गए। लेकिन सच में राजस्थान की सरकार गौ माता के लिए कितना गंभीर है इसका उदाहरण हिंगोनिया गौशाला है जो सीएम वसुंधरा के दफ्तर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है।

कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी
राजस्थान में बाकायदा गौ-मंत्रालय और गौ मंत्री भी बनाया गया। स्कूलों की किताबों में गाय के नाम पर चेप्टर भी शामिल किये गए। लेकिन सच में राजस्थान की सरकार गौ माता के लिए कितना गंभीर है इसका उदाहरण हिंगोनिया गौशाला है जो सीएम वसुंधरा के दफ्तर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है।

कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी
वैसे तो सरकार ने इस गौशाला के लिए बजट साढ़े तीन करोड़ रूपये का रखा है लेकिन हालात यह हैं कि यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों को पिछले 5 महीने से सैलरी नही मिली है। कहा जा रहा है कि मजदूरों की कमी के कारण ये हालात हुए हैं। बूढी गायें कीचड़ में फंसकर लगातार मर रही हैं लेकिन उन्हें बचाने वाला कोई नही। न ही मरी गायों को उठाने वाला कोई है। मरी गायें यहाँ लगातार सड़ रही हैं जिसके कारण यहाँ बीमारी और भी बढ़ती जा रही हैं।


