
एक तरफ देश में जहां आए दिन साम्प्रदायिक टकराव की खबरें सुनने को मिल रहीं हैं, वहीं जिले की एक मुस्लिम महिला ने मानवता के धर्म को सर्वोपरि मानते हुए, अपनी हिंदू सहेली की जान बचाने के लिए अपनी किडनी देने का फैसला किया है.फतेहपुर जिले के बिंदकी तहसील के गांव रारिबुजुर्ग की रहने वाली शमशाद बेगम ने पुणे में रहने वाली अपनी बहन की हिंदू सहेली को अपनी किडनी देने का फैसला किया है. शमशाद बेगम कुछ दिन पहले पुणे में रहने वाली अपनी बहन जुनैदा खातून से मिलने गई थी. जहां वे उनके साथ अस्पताल में भर्ती जुनैदा की सहेली आरती को देखने गईं थीं. पुणे के शिवाजी नगर की रहने वाली आरती एयर इंडिया में जॉब करती हैं और बीमारी के चलते उनकी दोनों किडनी बेकार हो चुकी हैं. आरती को जिन्दा रखने के लिए डायलिसिस का सहारा लिया जा रहा है. शमशाद बेगम से आरती का कष्ट देखा नहीं गया और उसने आरती को उसकी बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए अपनी किडनी दान देने का फैसला किया है. लंबी बीमारी के बाद अपने पति को खो चुकी शमशाद बेगम ने अस्पताल में ही यह फैसला कर लिया कि वह आरती को जीवन देने के लिए अपनी एक किडनी दान करेंगी. शमशाद बेगम पति की मौत के बाद अपने माता-पिता के साथ रहती हैं
.आरती को बचाने के लिए मुम्बई के हीरा नंदानी अस्पताल में आरती के परिवार और रिश्तेदारों ने भी अपनी किडनी डोनेट करने के लिए कहा था लेकिन मेडिकल जांच के बाद डॉक्टर्स ने बताया कि आरती के फॅमिली मेम्बर्स की किडनी उनसे मेल नहीं खा रही थी. शमशाद बेगम के कहने पर जब उनकी जांच हुई तो तो डॉक्टर्स ने बताया कि वे आरती को अपनी किडनी दे सकती हैं.डॉक्टर्स ने डोनर शमशाद बेगम (40) और आरती (38) के सभी मेडिकल एग्जामिनेशन को पूरे कर लिए हैं. शमशाद बेगम ने इस बाबत फतेहपुर आकर जिला स्वास्थ विभाग में किडनी देने के लिए सभी डाक्यूमेंट्स भी जमा कर दिए हैं. उन्हें अब राज्य सरकार की ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन कमेटी की ओर से हरी झंडी का इन्तजार है. शमशाद बेगम ने कहा कि वे किडनी देने के लिए तैयार हैं और किसी भी इन्सान का धर्म इंसानियत होना चाहिए. यह एक इन्सान के जान बचाने के लिए के लिए महज छोटी सी कुर्बानी है.