..... आसमान छूते दामों के बीच भी किसान को मुनाफा नहीं एक तरफ आम आदमी को
सस्ती दाल नहीं मिलती और दूसरी तरफ इसे उगाने वाले किसान भी पूरी कीमत न
मिलने से परेशान हैं। मंडियों में किसान न्यूनतम मूल्य से कम कीमत पर
दाल बेचने पर मजबूर हैं। अगर वक्त रहते सरकार ने कदम नहीं उठाए तो किसानों
की मुसीबत बढ़ जाएगी। दिल्ली की दाल मंडी नया बाज़ार में मूंग दाल की नई फसल आना शुरू हो चुकी है। मंडियों में मूंग दाल 41 से 44 रु. किलो बिक रही है, जबकि बोनस के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य 52 रु. किलो तय हुई है।
थोक व्यापारियों का कहना है कि अगले 20 से 25 दिन में राजस्थान से मूंग दाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और एमपी से अरहर और उड़द दालों की नई फसल आना शुरू हो जाएगी। अरहर और उड़द के भी एमएसपी से नीचे बिकने की आशंका जताई जा रही है।
200 लाख टन होगा दलहन का उत्पादन दालों की कीमत को डिमांड और सप्लाई के तर्क से समझाया जाता है लेकिन यह तर्क किसान के पक्ष में जाता हुआ नहीं दिखता। इस साल भी हमें करीब 240 लाख टन दालों की आवश्यकता होगी।
सरकारी अनुमान के मुताबिक दलहन का उत्पादन 200 लाख टन से अधिक रहने की उम्मीद है। यानि आपूर्ति की कमी और आयात पर निर्भरता कायम है फिर भी सरकार दालों की अभी खरीद शुरू नहीं करती है तो किसान को उचित कीमत नहीं मिल पाएगी।
पिछले साल दलहन उत्पादन कम होने और रिटेल में दालों की आसमान छूती कीमतों के चलते सरकार दालों पर स्टॉक लिमिट लगा चुकी है। यही वजह है की अब बंपर पैदावार को संभालने की बजाय कारोबारी हाथ पीछे खींच रहे हैं।
जानकारों की माने तो दालों को एमएसपी से नीचे जाने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को दालों पर लगी स्टॉक लिमिट हटाने पर भी विचार करना होगा।
