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उधार के कॉस्ट्यूम से रियो ओलंपिक में जिमनास्टिक के फ़ाइनल तक

    दीपा करमाकर ने जब पहली बार जिमनास्टिक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था तब उनके पास न जूते थे और न ही प्रतियोगिता में पहनने के लिए कॉस्ट्यूम था. दीपा ने जो उधार का कॉस्ट्यूम लिया था, वह उन पर पूरी तरह से फ़िट भी नहीं हो रहा था.
    वे अब रियो ओलंपिक में जिमनास्टिक के फ़ाइनल में पहुंच चुकी हैं और उनके पास जिमनास्टिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने का मौका है. छह साल की उम्र से ही दीपा जिमनास्टिक कोच बिश्वेश्वर नंदी के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रही हैं.
    वर्ष 2007 के राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन के बाद लोगों का ध्यान दीपा की ओर गया जहां से उनका हौसला भी बढ़ा. अपनी कड़ी मेहनत और प्रैक्टिस के बल पर आज वो गोल्ड मेडल से बस एक कदम दूर हैं.
    दीपा ने साल 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था. इसके अलावा उन्होंने साल 2015 में हिरोशिमा में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक अपने नाम किया था.
    पिछले साल हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने प्रोडूनोवा जिमनास्ट में आख़िरी पांच में जगह बनाई और अंतरराष्ट्रीय जिमनास्टिक संघ ने उन्हें विश्व स्तरीय जिमनास्ट की श्रेणी में रखा. दीपा दुनिया की उन पांच महिला खिलाड़ियों में से एक हैं जो सफलतापूर्वक प्रोडूनोवा वॉल्ट कर पाती हैं.
   साल 1964 के बाद वो पहली भारतीय हैं, जिन्होंने ओलंपिक में जिम्नास्टिक्स के फ़ाइनल में जगह बनाई है.