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फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने चांदी के वर्क में जानवरों के अंश मिलाने पर लगाई रोक

Image may contain: plant and food      मिठाई, सुगंधित इलायची और पान पर लगाए जाने वाले चांदी के वर्क को बनाने में जानवरों की आंत के इस्तेमाल पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने रोक लगा दी है। दरअसल, वर्क बनाने के लिए चांदी को जानवरों की आंतों पर रखकर पीटा जाता है। इससे बिल्कुल पतले वर्क बनते हैं और इन्हें सामान पर लपेटने में आसानी हो जाती है। क्यों जानकारी के मुताबिक, एफएसएसएआई ने यह बैन इसलिए लगाया है, क्योंकि चांदी के वर्क को पतला करने के लिए गाय-भैंस की आंतों का इस्तेमाल होता था। शिकायत थी कि इसके लिए गाय, बैल और भैंसों का कत्ल किया जा रहा था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जांच में पाया गया कि इस तरह से तैयार चांदी के वर्क कंज्यूमर की सेहत के लिए नुकसानदायक भी हैं। इन वर्क की शीट्स और पैकेट पर कोई सिंबल या वॉर्निंग नहीं होती, जिससे पता लगाया जा सके कि वह वेजीटेरियन प्रोडक्ट है या नॉन-वेजीटेरियन।
       जानकारी के मुताबिक, जांच में ये पाया गया कि चांदी के वर्क में हेवी मैटल ऑब्जेक्ट्स जैसे निकल, लेड, क्रोमियम और केडमियम भी होते हैं। ये सभी मेटल ऑब्जेक्ट्स सेहत के लिए खतरनाक होते हैं। कुछ महीनों पहले मैगी नूडल्स पर सरकार ने लेड की मात्रा ज्यादा होने की वजह से ही रोक लगाई थी।
     दो साल पहले यूनियन मिनिस्टर और एनिमल एक्टिविस्ट मेनका गांधी की शिकायत के बाद सरकार ने इस मामले पर एक्शन लेने का फैसला लिया था। मेनका ने कहा था कि मिठाई, पान और सुपारी ही नहीं बल्कि सेब (एप्पल) को भी ज्यादा बेहतर दिखाने के लिए चांदी का वर्क लपेटा जाने लगा है। मेनका ने साफ कहा था कि चांदी का वर्क बनाने के लिए बैलों का कत्ल तक किया जाता है।
    बता दें कि कुछ साल पहले, इंडियन एयरलाइंस ने वर्क को नॉन वेजीटेरियन मानते हुए इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।