सिंधु जल संधि के अनुसार भारत अपनी छह प्रमुख नदियों का अस्सी (80.52) फ़ीसदी से ज़्यादा यानी हर साल 167.2 अरब घन मीटर जल पाकिस्तान को देता है। तीन नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब तो पूरी की पूरी पाकिस्तान को भेंट कर दी गई हैं। यह संधि दुनिया की इकलौती संधि है, जिसके तहत नदी की ऊपरी धारा वाला देश निचली धारा वाले देश के लिए अपने हितों की अनदेखी करता है। ऐसी उदार मिसाल दुनिया की किसी संधि में नहीं मिलेगी।
सबसे हैरान करने वाली बात है कि इस बेजोड़ संधि का लाभार्थी देश पाकिस्तान भारत की उदारता का जवाब आतंकवादी वारदातों से देता रहा है। लाभार्थी पाकिस्तान संधि के बाद जलदाता देश भारत के साथ दो बार (1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध) घोषित तौर पर, एक बार (1999 का कारगिल घुसपैठ) अघोषित तौर पर युद्ध छेड़ चुका है। इससे अच्छा हैं कि हर साल देश के जिन हिस्सों में सूखा पड़ता है। उन्हें नदियों से जोड़ हरित बनाये न की पाकिस्तान को पोषित करे जो विषैले सर्प की भांति बार-बार डस रहा हैं।
