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राष्ट्रधर्म निभाए ब्रम्हास्त्र चलाये मोदी!

Image result for india pakistan indus water treaty    पाकिस्तान की सारी अकड़ निकालने के लिए किसी 56 इंची राष्ट्रवाद की जरुरत नहीं बस भारत को अपना अचूक ब्रह्मास्त्र, इंडस वॉटर ट्रीटी यानी सिंधु जल संधि को चलाना यानी तोडना होगा। दरअसल, इंटरनैशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट (अब विश्वबैंक) की मध्यस्थता में 19 सितंबर 1960 को कराची में इंडस वॉटर ट्रीटी पर भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब ख़ान ने हस्ताक्षर किए। भारत पिछले 56 साल से सिधु वॉटर ट्रीटी यानी सिंधु जल संधि को ढो रहा है। आधुनिक विश्व के इतिहास में यह संधि सबसे उदार जल बंटवारा है।
     सिंधु जल संधि के अनुसार भारत अपनी छह प्रमुख नदियों का अस्सी (80.52) फ़ीसदी से ज़्यादा यानी हर साल 167.2 अरब घन मीटर जल पाकिस्तान को देता है। तीन नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब तो पूरी की पूरी पाकिस्तान को भेंट कर दी गई हैं। यह संधि दुनिया की इकलौती संधि है, जिसके तहत नदी की ऊपरी धारा वाला देश निचली धारा वाले देश के लिए अपने हितों की अनदेखी करता है। ऐसी उदार मिसाल दुनिया की किसी संधि में नहीं मिलेगी।
     सबसे हैरान करने वाली बात है कि इस बेजोड़ संधि का लाभार्थी देश पाकिस्तान भारत की उदारता का जवाब आतंकवादी वारदातों से देता रहा है। लाभार्थी पाकिस्तान संधि के बाद जलदाता देश भारत के साथ दो बार (1965 और 1971 के भारत पाक युद्ध) घोषित तौर पर, एक बार (1999 का कारगिल घुसपैठ) अघोषित तौर पर युद्ध छेड़ चुका है। इससे अच्छा हैं कि हर साल देश के जिन हिस्सों में सूखा पड़ता है। उन्हें नदियों से जोड़ हरित बनाये न की पाकिस्तान को पोषित करे जो विषैले सर्प की भांति बार-बार डस रहा हैं।