एक शौकिया वैज्ञानिक ने एक ऐसी मच्छरदानी विकसित की है, जिसे बिस्तर पर
चादर की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस उत्पाद की कीमत 1,000 रुपये हो
सकती है। 60 वर्षीय एम. सी. डेविड कई सालों से नए-नए खोज कर रहे हैं और हाल
ही में उन्हें तीसरा पेटेंट हासिल हुआ है, जो हवा भर कर फूलने वाली
पोर्टेबल मच्छरदानी के लिए मिला है।
डेविड ने बताया, “मुझे हाल में ही इसका भारतीय पेटेंट मिला है। कुछ लोगों से इसके
बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक उत्पादन के लिए बातचीत हो रही है। मैं आश्वस्त
हूं कि यह उत्पाद जिसे एक चादर की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है और
जिसका वजन करीब एक किलोग्राम हैं, वह बाजार में महज 1,000 रुपये में उपलब्ध
होगी। उन्होंने कहा कि इस मच्छरदानी में कोई धातु या नुकीले किनारे नहीं
है और इसे जल्द से लगाया या खोला जा सकता है.
डेविड ने बताया कि इस मच्छदानी के निचले हिस्से में हवा भरी जाती है, जो
इसे स्थिरता प्रदान करती है और कोई आराम से इस मच्छरदानी के नीचे फर्श पर
या विस्तर पर सो सकता है। वे कहते हैं, “इसके आधार में हवा से भरी जानेवाली
ट्यूब लगी है, जिसे पानी से भी भरा जा सकता है। इसे मुंह से फुलाया जा
सकता है या किसी छोटे से पंप के सहारे हवा भरी जा सकती है। इस मच्छरादानी
का आकार भी अपनी जरूरत के हिसाब से कम-ज्यादा किया जा सकता है।”
डेविड ने कहा, “इस मच्छरादानी को वापस रखने के लिए केवल इसके अंदर भरी हवा या पानी को निकालने की जरूरत होती है। एक अन्य उत्पाद जिसका मुझे पेटेंट हासिल हुआ है, वह ऊंची इमारतों से आपात स्थिति में बाहर निकलने के लिए मची भगदड़ को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने आगे कहा, “भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) की दो टीम मुझसे मिलने आई थी और उन्होंने मुझे अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने को कहा। मैंने राज्य सरकार के पास निधि मुहैया कराने के लिए आवेदन दिया है, ताकि मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना कर सकूं।”
डेविड ने कहा, “इस मच्छरादानी को वापस रखने के लिए केवल इसके अंदर भरी हवा या पानी को निकालने की जरूरत होती है। एक अन्य उत्पाद जिसका मुझे पेटेंट हासिल हुआ है, वह ऊंची इमारतों से आपात स्थिति में बाहर निकलने के लिए मची भगदड़ को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने आगे कहा, “भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) की दो टीम मुझसे मिलने आई थी और उन्होंने मुझे अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने को कहा। मैंने राज्य सरकार के पास निधि मुहैया कराने के लिए आवेदन दिया है, ताकि मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना कर सकूं।”
