... देश का तमाम राष्ट्रिय मीडिया ये कह रहा था कि बुधवार को केंद्र सरकार
कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को मिल रही सुरक्षा को हटा सकती है। जबकि
सूत्रों के हवाले से खबरे हैं कि केंद्र की ऐसी कोई योजना नहीं हैं। बल्कि
खतरा इस बात का भी सताने लगा हैं कहीं कश्मीर का माहौल और अधिक खराब करने
के मकसद से आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन किसी अलगावादी नेता की हत्या न
करवा दे। गौर हो कि गत चार सितंबर को ग़ैर-भाजपा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल
के श्रीनगर दौरे के बीच अलगाववादी नेताओं ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया
था जिसके बाद मीडिया के माध्यम से इन खबरों का आना आरंभ हुआ जिनमे उसी के
बाद से केंद्र सरकार अलगावादियों को दी जा रहीं सुविधाओ पर सख्त क़दम उठाने
जा रही है। लेकिन हकीकत यह हैं कि अलगावादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी, शब्बीर शाह और यासीन मलिक को कोई सुरक्षा नहीं दी जाती है। केवल मीरवाइज़ उमर फ़ारुक़ को ज़ेड श्रेणी सुरक्षा मुहैया है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सूबे की सरकार घाटी के नौ अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सालाना लगभग 100 करोड़ रुपए ख़र्च करती है।
लेकिन अलगाववादी नेता इन ख़बरों को सिरे से ख़ारिज करते हैं। मीरवाइज़ उमर फ़ारुक़ गुट वाले हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के प्रवक्ता शाहिदुल इस्लाम कहते हैं, ''सैय्यद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया था जब वे दोनों जेल में थे। तो क्या सरकार की हिरासत में रह रहे लोगों की सेहत का ख़्याल रखना क्या सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है।''
उन्होंने आगे कहा कि उन्हेें इन नेताओं की सुरक्षा कम करने के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
लेकिन राज्य पुलिस के एक सूत्र कहते हैं कि मीरवाइज़ उमर फ़ारुक़ के निवास पर तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को पहले ही वहां से हटा लिया गया है। मीरवाइज़ को ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है।
एक पुलिस अधिकारी का कहना है, ''राज्य सरकार नौ नेताओं को सुरक्षा देती है। मीरवाइज़ को ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है जबकि अन्य को मामूली सुरक्षा दी गई है।'' मीरवाइज़ गुट के बिलाल ग़नी लोन, अब्दुल ग़नी बट, मौलाना अब्बास अंसारी, फ़ज़ल हक़ क़ुरैशी और शाहिदुल इस्लाम को सुरक्षा दी गई है।
जबकि सैय्यद अली शाह गिलानी गुट के आग़ा सैय्यद हसन को राज्य सरकार सुरक्षा देती है। हुर्रियत के दोनों गुट के अलावा केवल सलीम गिलानी और हाशिम क़ुरैशी को राज्य सरकार सुरक्षा देती है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ अलगाववादी नेताओं को साल 2000 के बाद से सुरक्षा दी गई थी जब उन्होंने केंद्र सरकार से बातचीत की इच्छा जताई थी। पुलिस अधिकारी का कहना था, ''सरकार से बातचीत का समर्थन करने वाले नेताओं को अज्ञात आतंकियों से ख़तरा था और कुछ पर तो हमले भी हुए थे। उनके ख़तरे का आकलन करने के बाद उचित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सुरक्षा दी गई थी। ''
अलगाववादी नेताओं के होटलों के ख़र्च को सरकार के ज़रिए दिए जाने के बारे में शाहिदुल इस्लाम कहते हैं, ''मीरवाइज़ उमर फ़ारुक़, अब्बास अंसारी, बिलाल लोन और दूसरे कई नेताआों के दिल्ली में अपने घर हैं। दूसरों के दोस्त और रिश्तेदार हैं। तो फिर ये नेता इस तरह की छोटी सी बात के लिए सरकार से क्या मदद लेंगे।''
