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पिघलते ग्लेशियर से बनी 110 नई झीलें, ला सकती हैं तबाही

     हिमालय क्षेत्र में तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर के कारण नई झीलों का निर्माण हो रहा है। पिछले दो सालों में तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के कारण हिमाचल में 110 नई झीलों का निर्माण हुआ है। इससे जम्मू तथा हिमाचल प्रदेश में ग्लोफ (ग्लेशियल लेक ऑउटबर्स्ट फ्लड) बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। झीलों में अत्यधिक पानी बढ़ जाने से उनके फटने का खतरा बढ़ जाता है।
      तेजी से पिघलते इन ग्लेशियर के कारण रावी, चेनाब और व्यास नदी बेसिन पर ये नई ग्लेशियल झीलें निर्मित हुई हैं। विशेषज्ञों द्वारा की जा रही मॉनिटरिंग और विश्लेषण के अनुसार, हिमालय की ऊंचाइयों पर हो रहे इन बदलावों का मानव जीवन पर प्रभाव और इस क्षेत्र में उनके जीवन की संभावना पर खतरा है। स्टेट काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नॉलजी एंड एन्वायरमेंट द्वारा जारी इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नदी बेसिन पर तेजी से निर्मित हो रही इन झीलों से ग्लोफ बाढ़ का खतरा दिन पर दिन बढ़ रहा है।
      रिपोर्ट बताती है कि 2013 में चेनाब बेसिन पर 116 झीलें थीं, जिनकी संख्या 2015 तक बढ़कर 192 पहुंच गई। अगर 2001 से इन झीलों की तुलना की जाए, तो इन झीलों में चार गुना वृद्धि हुई है। इन 192 झीलों में से 4 झीलों का क्षेत्रफल 10 हैक्टेयर से ज्यादा, 6 झीलें 5 से 10 हैक्टेयर में और बाकि 182 झीलें 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्रफल में फैली हैं।
      इसी तरह व्यास में 2013 तक इन झीलों की संख्या 67 थी, जो 2015 तक बढ़कर 89 हो गई है। वहीं राबी में 2013 तक 22 झीलें ही थीं, जो 2015 तक 34 हो गईं। वैज्ञानिकों ने ये डाटा अध्ययन सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों के आधार पर किया है। जानकार बताते हैं कि साल 2013 में उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ से मची त्रासदी का कारण भी पिघले ग्लेशियर से बनी झीलें ही थीं, जो ज्यादा बारिश के कारण झीलों में अचानक बढ़े जलस्तर के कारण फट गईं थीं।