तमिलनाडु मुख्यमंत्री जयललिता : अभिनेत्री से अम्मा तक का सफर
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तमिलनाडु मुख्यमंत्री जयललिता : अभिनेत्री से अम्मा तक का सफर

   तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता का अभिनेत्री से अम्मा तक का सफर किस प्रकार रहा देखिए--
► तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता एक बेहद लोकप्रिय नाम है. जयललिता अभिनेत्री रही हों नेता या एक प्रशासक, हर रूप में जनता ने उन्हें खूब पसंद किया एवं समर्थन दिया है.
► अभिनेत्री से राजनेता बनीं जयललिता अभिनेत्री कतई नहीं बनना चाहती थी. पढ़ाई में बेहद अच्छी थीं. स्कूल के दिनों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रा की शील्ड मिली और दसवीं में उन्हें पूरे तमिलनाडु में दूसरा स्थान मिला.
► तमिल के अलावा जयललिता ने तेलुगू, कन्नड, एक हिंदी और एक अंग्रेजी फिल्म में भी काम किया है.
► गर्मिंयों की छुट्टियों के दौरान वो अपनी माँ के साथ एक समारोह में गई जहाँ एक प्रोड्यूसर वीआर पुथुलू ने उन्हें अपनी फि़ल्म में काम करने का प्रस्ताव दिया, उनकी माँ ने उनसे पूछा और उन्होंने हाँ कर दी.
► अपनी दूसरी ही फि़ल्म में जयललिता को उस समय तमिल फि़ल्मों के चोटी के अभिनेता एमजी रामचंद्रन के साथ काम करने का मौका मिला.
► जयललिता बहुत अच्छी अंग्रेज़ी बोलती थीं. शूटिंग के समय वो एक कोने में बैठ कर अंग्रेज़ी उपन्यास पढ़ा करती थीं और किसी से कोई बातचीत नहीं करती थी. देखने में एकदम गोरी चिट्टी. तमिलनाडु में आमतौर से इतनी गोरी लड़िकयाँ नहीं दिखाई देती हैं.
► एमजीआर का जयललिता के प्रति शुरू से ही साफ़्ट कार्नर था. एक बार राजस्थान के थार रेगिस्तान में शूटिंग के दौरान रेत इतनी गर्म थी कि जयललिता उस पर चल नहीं पा रही थी, तभी एमजीआर ने पीछे से आ कर उन्हें गोदी में उठा लिया था ताकि उनके पैर न जलें.
► जयललिता ने खुद कुमुदन पत्रिका में लिखा था कि कार पार्किंग थोड़ी दूर पर थी, पैरों में कोई चप्पल और जूते नहीं थे, एक कदम भी नहीं चल पा रही थी और पैर लाल हो गए थे. एमजीआर मेरी परेशानी को समझ गए और उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
► एमजीआर और जयललिता के संबंधों में भी बहुत उतार चढ़ाव आए. उन्होंने उन्हें 1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा का सांसद भी बनाया.
► लेकिन पार्टी में जयललिता का इतना विरोध हुआ कि एमजीआर को उन्हें प्रोपेगेंडा सचिव के पद से हटाना पड़ा.
► इस बीच एमजीआर गंभीर रूप से बीमार हो गए, जब उनका देहांत हुआ तो उनके परिवार वालों ने जयललिता को उनके घर तक में नहीं घुसने दिया.
► जयललिता एमजीआर के घर के सामने कार से उतरीं और अपनी हथेलियों से ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाने लगीं. जब गेट खुला तो किसी ने उनको नहीं बताया कि एमजीआर का शव कहाँ रखा गया है. वो गेट से पीछे की सीढ़ियों तक कई बार दौड़ कर गई लेकिन एमजीआर के घर का हर दरवाज़ा उनके लिए बंद कर दिया गया.
► बाद में जयललिता को पता चल गया कि एमजीआर के पार्थिव शरीर को पिछले दरवाज़े से राजाजी हॉल ले जाया गया है. जयललिता राजाजी हॉल आकर एमजीआर के सिरहाने पहुंचने में सफ़ल हो गई.
► लेकिन यहाँ जयललिता की आँख से एक आँसू नहीं निकला. वो दो दिन तक एमजीआर के पार्थिव शरीर के सिरहाने खड़ी रहीं. पहले दिन 13 घंटे और अगले दिन 8 घंटे तक.
► एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन की कुछ महिला समर्थकों ने उनके पैरों को अपनी चप्पलों से कुचलने की कोशिश भी की.
► कुछ ने उनके शरीर में नाख़्ाून गड़ा कर उन्हें हटाने की कोशिश की. लेकिन जयललिता वहाँ से टस से मस नहीं हुई.
► जब एमजीआर के पार्थिव शरीर को अंतिम यात्रा के लिए ले जाया गया तो जयललिता भी उसके पीछे पीछे दौड़ीं.
► तभी अचानक जानकी के भतीजे दीपन ने उनको धक्का देकर गन कैरेज से नीचे गिरा दिया. इसके बाद वो वहां से वापस आ गयीं.
1992 के आम चुनाव में जयललिता ने पहली बार जीत दर्ज की और राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह ने उन्हें पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
► जयललिता अब तक चार बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं.
► अपने मज़बूत प्रशासन के लिए उन्हें अक्सर वाहवाही मिली है. हालाँकि उन पर व्यक्ति पूजा करवाने और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं.
► जयललिता ब्राह्मण जाति से आती हैं और उनका जन्म कर्नाटक में हुआ है. उन्होंने जिस तरह से एआईडीएमके पार्टी पर अपना नियंतण्रजमाया, उसे एक बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाएगा.
► सुनामी के दौरान जयललिता ने जिस तरह प्रशासन चलाया उसको आज भी याद किया जाता है.
► जयललिता की मीडिया से बहुत कम बनी. उन पर मूडी होने का ठप्पा भी लगा. एक बार एक इंटरव्यू के अंत में जब करण थापर ने कहा कि उन्हें उनसे बात कर बहुत खुशी हुई है. तो जयललिता का जवाब था, मुझे आपसे मिल कर कतई ख़्ाुशी नहीं हुई, नमस्ते.
► 1998 में उन्होंने वाजपेयी सरकार को समर्थन दिया लेकिन जब वाजपेयी ने करु णानिधि सरकार को बर्ख़ास्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो उन्होंने समर्थन वापस ले लिया.
► सन 2002 में जब आधी रात को करु णानिधि को जगा कर गिरफ़्तार किया गया तो उन पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप भी लगा.
► जयललिता भले ही तुनकमिज़ाज, अस्थिर या अक्खड़ मानी जाती रही हों लेकिन वो बहुत मज़बूत नेता रही हैं जिनको लोगों ने असीम प्यार दिया है. इसीलिए जयललिता मास लीडर हैं.
► जयललिता इतनी मज़बूत नेता रही हैं कि कहा जाता है कि लोग उनके सामने काँपा करते थे.
► जनता में मुफ़्त चीज़े बांटने की नीति ने भी उन्हें बहुत लोकप्रिय बनाया. मुफ़्त मिक्सी और मुफ़्त बीस किलो चावल देने पर उनकी अर्थशास्त्रियों ने निंदा की लेकिन इससे जनता का एक बड़ा तबका उनका दीवाना बन गया.

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