नई दिल्ली।। यह प्रक्रियाएं सदियों से की जा रही हैं कि गाय के गोबर का उपयोग घर को लीपने से लेकर, कंडे बनाने में होता है। यहां तक कि प्राचीन ऋषि-मुनि गाय के गोबर से पहले हवन वेदी को शुद्ध करते थे। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास माना गया है। यदि प्राचीन धर्मग्रंथों का अध्ययन करें तो पाएंगे प्राचीन काल में ऋषि-मुनि मिट्टी और गाय के गोबर के लेप से स्नान किया करते थे।
यही कारण है कि आयुर्वेद में जहां गौमूत्र पीने की सलाह दी गई है, तो वहीं गोबर का लेप लगाने से चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है।
गोबर के कंडे जलाने पर वायु प्रदूषण कम होता है। वह इसलिए कि गोबर में ऐसे कई रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं जो जलने पर वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं को दूर कर सकते है।
