बच्चों को जिद्दी बना सकता है कॉम्टीशन का दबाव
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बच्चों को जिद्दी बना सकता है कॉम्टीशन का दबाव

     मुंबई।। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे सबसे आगे रहें लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि एक दूसरे से आगे निकलने का दबाव बच्चों को जिद्दी भी बना सकता है। इसीलिए बच्चों को सफलता की अंधी दौड़ का घोड़ा बनाने से पहले यह बात जरूर जहन में रखें कि इससे बच्चों के स्वाभाविक विकास में कोई कमी न रह जाए। मनोविज्ञानी कहते हैं अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे सबसे आगे रहें और सफलता का शिखर छू सकें। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि उनकी यह चाहत बच्चों को गहरे दबाव में ला सकती है। यदि बच्चे यह दबाव सहन नहीं कर पाए तो उनकी मानसिकता प्रभावित होती है। कई बार बच्चे जिद्दी हो जाते हैं और वह काम बिल्कुल नहीं करना चाहते जो उनके अभिभावक चाहते हैं।
     वह कहते हैं कि कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे जिद जल्द त्याग दें, वरना यदि वह जिद्दी बन गए तो उनके लिए ही मुश्किल होगी। एक अन्य मनोविज्ञानी का कहना है कि बच्चों की मानसिकता को समझना बेहद जरूरी होता है। अभिभावकों को यह देखना चाहिए कि उनके बच्चों की दिलचस्पी किस क्षेत्र में है और किस विषय को वह पसंद नहीं करता। इस नापसंद का कारण पता लगाना चाहिए और फिर इस तरीके से बच्चों को प्यार से समझा कर उसकी नापसंद दूर करने की कोशिश करनी चाहिए कि उस विषय में रुचि लेने लगे। यदि उसकी नापसंद का विषय पढ़ने के लिए उस पर जोर डाला गया तो वह जिद्दी हो जाएगा और उस विषय को बिल्कुल पढ़ना नहीं चाहेगा।

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