प्रो. टीके लहरी का नाम तो सुना ही होगा
इनके जैसे डॉक्टर्स को ही धरती का भगवान कहा जाता है. आज जब तमाम डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़कर प्राइवेट प्रैक्टिस से करोड़ो का अस्पताल खोलने में दिलचस्पी लेते हैं, उस दौर में बीएचयू के प्रख्यात कार्डियोलाजिस्ट पद्मश्री डॉ. टी के लहरी साहब मिसाल खड़ी करते हैं.गरीब मरीजों के लिए ये शख्सियत किसी देवता से कम नहीं।
रिटायरमेंट के चौदह साल बाद भी पेसेंट्स कि सेवा कर रहे हैं
गरीबों कि सेवा करने के लिए इन्होने शादी नहीं की. 1997 से इन्होंने सैलरी लेना बंद कर दिया और अपनी सैलरी को जरूरतमंद मरीजों को डोनेट कर दिया. 1997 में इनकी सैलरी एक लाख के ऊपर थी. 2003 में रिटायरमेंट के बाद इन्हें जो पेंशन और पीएफ मिला वो भी इन्होंने बीएचयू को मरीजों की सेवा के लिए डोनेट कर दिया.ये केवल खाने के खर्च के लिए पेंशन से रुपए लेते हैं.अमेरिका से ऑफर आया था इन्हें वहां प्रैक्टिस करने के लिए,ये चाहते तो वहां चले जाते,बढ़िया से रहते लेकिन नहीं,इन्होने ऐसा नही किया.इनका मन काशी के बाहर कहीं लगा ही नही,और ये अपने आपको पूरी तरह से बीएचयू को समर्पित कर दिए.ये महान विभूति आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते है.इनके बारे में जितना लिखा जाए वो कम है।
इनके जैसे डॉक्टर्स को ही धरती का भगवान कहा जाता है. आज जब तमाम डॉक्टर सरकारी नौकरी छोड़कर प्राइवेट प्रैक्टिस से करोड़ो का अस्पताल खोलने में दिलचस्पी लेते हैं, उस दौर में बीएचयू के प्रख्यात कार्डियोलाजिस्ट पद्मश्री डॉ. टी के लहरी साहब मिसाल खड़ी करते हैं.गरीब मरीजों के लिए ये शख्सियत किसी देवता से कम नहीं।
रिटायरमेंट के चौदह साल बाद भी पेसेंट्स कि सेवा कर रहे हैं
गरीबों कि सेवा करने के लिए इन्होने शादी नहीं की. 1997 से इन्होंने सैलरी लेना बंद कर दिया और अपनी सैलरी को जरूरतमंद मरीजों को डोनेट कर दिया. 1997 में इनकी सैलरी एक लाख के ऊपर थी. 2003 में रिटायरमेंट के बाद इन्हें जो पेंशन और पीएफ मिला वो भी इन्होंने बीएचयू को मरीजों की सेवा के लिए डोनेट कर दिया.ये केवल खाने के खर्च के लिए पेंशन से रुपए लेते हैं.अमेरिका से ऑफर आया था इन्हें वहां प्रैक्टिस करने के लिए,ये चाहते तो वहां चले जाते,बढ़िया से रहते लेकिन नहीं,इन्होने ऐसा नही किया.इनका मन काशी के बाहर कहीं लगा ही नही,और ये अपने आपको पूरी तरह से बीएचयू को समर्पित कर दिए.ये महान विभूति आज भी अपने आवास से अस्पताल तक पैदल ही आते जाते है.इनके बारे में जितना लिखा जाए वो कम है।