शराबबंदी के बाद नितीश बाबू का एक और धमाका अब होगी तम्बाकू बंदी
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शराबबंदी के बाद नितीश बाबू का एक और धमाका अब होगी तम्बाकू बंदी

    बिहार में शराबबंदी के बाद अब सरकार तंबाकू की बिक्री और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है. सरकार की इस सुगबुगाहट वाली खबर से तंबाकू उत्पादक किसानों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. सरकार के द्वारा उठाए जाने वाले इस कदम का तंबाकू उत्पादक किसान विरोध कर रहे हैं.
    बिहार में तंबाकू की खेती की अगर चर्चा होती है तो समस्तीपुर के सरैसा इलाके की चर्चा लोगों की जुबां पर अपने आप आ जाती है लेकिन सरकार द्वारा जो फैसला लिये जाने की बात कही जा रही है वो अगर लागू होता है तो इलाके के किसानों को तंबाकू उत्पादन बंद करना पड़ेगा और फिर सरैसा इलाके का खैनी एक इतिहास बनकर रह जाएगा.
    समस्तीपुर जिले की बात करें तो 15 से 20 हजार हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू की खेती किसानों के द्वारा की जाती है. तंबाकू किसानों की नकदी फसल के रूप में है जिस पर यहां के किसानों की पूरी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है. यहां के किसान तंबाकू के अलग-अलग उम्दा किस्में की खेती करते हैं, जिसका अच्छी पैदावार जिले की जमीन में कम खर्च पर होती है. जिले के समस्तीपुर, सरायरंजन, दलसिंहसराय, उजियारपुर, ताजपुर, मोडवा, वारिसनगर और पटोरी के इलाकों में तंबाकू की खेती किसान पूरी जोर शोर से करते हैं.
    समस्तीपुर के अलावा बेगूसराय, दरभंगा, हाजीपुर,मुजफ्फरपुर के कुछ इलाकों में भी खैनी की खेती होती है. यहां का तंबाकू बिहार के साथ-साथ झारखंड बंगाल दिल्ली मुंबई पंजाब उत्तर प्रदेश नेपाल सहित कई इलाकों में मशहूर है जहां से व्यवसायी आकर किसानों से तंबाकू खरीद ले जाते हैं. सरकार द्वारा तंबाकू पर प्रतिबंध लगाने की खबर से किसान में मायूसी है साथ ही आक्रोश भी.
   किसानों का कहना है कि अगर तंबाकू की खेती किसान बंद कर दें तो फिर इसके जगह हम कौन सी फसल लगाएंगे जिससे हमें कम खर्च पर अच्छी आमदनी हो. सरकार को पहले इसकी व्यवस्था करनी चाहिये. कई किसानों ने तो यहां तक कह दिया कि हम सरकार के इस फैसले को नहीं मानेंगे.
    तम्बाकू के उत्पादन पर सरकार के प्रतिबन्ध लगाने के खबर पर राजद नेता और पूर्व सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि तम्बाकू उत्पादन के दृष्टिकोण से इस इलाके को गोल्डेन लिफ़ बेल्ट कहा जाता है.
     तम्बाकू उत्पादन के दृष्टिकोण से देश में बिहार का तीसरा स्थान है. यहां के किसान के आय का यह प्रमुख साधन है. इसके लिए एक कैम्पेन सरकार को चलाना चाहिए. सरकार का यह फैसला किसान विरोधी है. उन्होंने कहा कि सरकार जिम्मेवारी से भाग रही है और सिर्फ अपनी छवि निखारने की कोशिश कर रही है, इसका हर्ष शराब बंदी की तरह ही कहीं न हो जाए.
     उन्होंने कहा कि तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन यह किसानों की नगदी फसल की तरह है. इसलिए जरूरत है कि सरकार प्रतिबन्ध से पहले इसके लिए किसानों को मोटिवेट करे और तम्बाकू के जगह वैकल्पिक व्यवस्था करे जिससे किसानो की आय पर कोई फर्क नहीं पड़े.

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