वैसे
तो पुलिस आमजन की सुरक्षा के लिए होती है और अपने इस कार्य को बखूबी पूरा
भी करती है लेकिन कई बार किसी पुलिसकर्मी द्वारा बेवजह ही बेगुनाहों को जेल
में डाल देने, मारपीट करने और झूठे आरोप लगाने जैसे मामले भी सामने आते
हैं। ऐसे में आप भी सोच में पड़ जाते होंगे कि जिस पुलिस के पास हम अपनी
शिकायतें लेकर जाते हैं, अगर वो ही हमें तंग करने लगे तो इसकी शिकायत हम
कैसे करें? ऐसे में ये जान लेना बेहतर होगा कि पुलिस द्वारा किये गए दुर्व्यवहार की शिकायत भी की जा सकती है।
तो चलिए, आज आपको बताते हैं पुलिस के अत्याचार की शिकायत करने की प्रक्रिया-
पुलिस की क्रूरता, अत्याचार, कानून और शक्तियों का दुरूपयोग करने और आम
नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पूरे
देश के हर राज्य, सभी केंद्रशासित प्रदेश और जिला स्तर पर पुलिस शिकायत
प्राधिकरण बनाये जाने थे जिसके अंतर्गत आम नागरिक पुलिस क्रूरता, अत्याचार
जैसे-
अवैध रूप से हिरासत में रखना
हिरासत में रहते हुए गंभीर चोट लगना या मृत्यु होना
पुलिस हिरासत में बलात्कार या उसकी कोशिश करना
अवैध शोषण या घर-जमीन हड़पने जैसे अपराध
ऐसी कोई घटना जिसमें पद या शक्तियों का दुरूपयोग किया गया हो
ऐसी किसी भी तरह की क्रूरता या अत्याचार होने पर इसकी शिकायत अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कर सकते हैं। अगर वहां भी राहत ना मिले तो कोर्ट के ज़रिये दोषी को सजा दिलाई जा सकती है।
हिरासत में रहते हुए गंभीर चोट लगना या मृत्यु होना
पुलिस हिरासत में बलात्कार या उसकी कोशिश करना
अवैध शोषण या घर-जमीन हड़पने जैसे अपराध
ऐसी कोई घटना जिसमें पद या शक्तियों का दुरूपयोग किया गया हो
ऐसी किसी भी तरह की क्रूरता या अत्याचार होने पर इसकी शिकायत अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कर सकते हैं। अगर वहां भी राहत ना मिले तो कोर्ट के ज़रिये दोषी को सजा दिलाई जा सकती है।
शिकायत कैसे करें –
शिकायत करने के लिए एक सादे कागज़ पर लिखा हुआ या टाइप
किया हुआ लेटर केस या घटना से सम्बंधित सभी सबूतों के साथ एक हलफनामा
लगाकर, अपने नाम से अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस शिकायत
प्राधिकरण को भेज सकते हैं। गुमनाम या किसी अन्य नाम से ना भेजें। अपने साथ
घटित घटना का पूरा ब्यौरा, नाम, पता और फोन नंबर सहित लिखें।
दोस्तों, सुप्रीम कोर्ट की ये पहल आम नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा और
पुलिस अत्याचार से बचाव करने के लिए की गयी है लेकिन इसकी सार्थकता तभी
संभव है जब हम अपने साथ हुए दुर्व्यवहार से डरने की बजाये जागरूक होकर आगे
आएं ताकि निर्दोषों के साथ होने वाली इस क्रूरता का अंत हो।