मोदी तेरे शासन में बर्तन बिक गए राशन में !
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मोदी तेरे शासन में बर्तन बिक गए राशन में !

    बिहार की राजधानी पटना से करीब 350 किमी. दूर अररिया ज़िले मुख्यालय से करीब 60 किमी. दूर सिकटी प्रखंड से 'संविधान सम्मान यात्रा' के तहत पैदल मार्च करके आए करीब 200 किसान, महिलाओं और नौजवानों का एक जत्था में बीते दिनों शहर में प्रवेश कर गया था.
     हाथों में तख्तियां और बैनर लिए महिलाएं और पुरुष किसान धूल उड़ाते चल रहे थे. खेत की मेड़ और पगडंडियों को पार कर अब शहर की गलियों में दाख़िल हो गए थे, इसलिए नारों की गूंज बढ़ती जा रही थी. टेम्पो पर माइक और साउंड सिस्टम लादकर मार्च को लीड करते हुए कुछ नौजवान नारा लगाते और बाक़ी उनके पीछे चल रही किसानों की टोली नारे को दोहराती आगे बढ़ती.
   "मोदी तेरे शासन में, बर्तन बिक गए राशन में. निकलो घर मकानों से, जंग लड़ो बेइमानों से.अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है. लड़ेंगे-जीतेंगे, लड़े हैं-जीते हैं, इन्कलाब ज़िंदाबाद." किसानों का मार्च जैसे-जैसे अररिया टाउन हॉल स्थित सभा स्थल के करीब पहुंच रहा था, देश और प्रदेश के दूसरी जगहों से आए संविधान सम्मान यात्रा के यात्रियों की टोलियां उनसे जुड़ती जातीं.
    वैसे तो मार्च में शामिल हर एक शख़्स नारा लगाते हुए जोश से लबरेज दिखता, मगर पोखरिया से रात में चलीं बुजुर्ग शकुंतला देवी के पैर रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. एक हाथ में संगठन का झंडा और दूसरे में तख्ती लिए बिना चप्पल के शकुंतला पथरीले राहों पर भी दौड़ने लग जातीं तो सब देखकर अवाक रह जाते. उनकी तख्ती पर लिखा था, "तुमसे पहले जो एक शख़्स यहां तख्त-नशीं था, उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यक़ीन था"
    शकुंतला से मीडिया द्वारा पूछने पर कि ये बात किस शख़्स के लिए लिखी गई है, तपाक से कहती हैं, "नीतीश के लिए, मोदी के लिए, सरकार के लिए," आप इस मार्च में क्यों शामिल हुईं, फिर से जवाब मिलता है, "हक़ के लिए, न्याय के लिए"

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