कोरोना वॉर : कई अधिकारीयों को झेलना पड़ा दबाव, तो कई की हो गई तू-तू मै-मै

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प्रशासनिक बेडे की कई महिला अधिकारी चर्चित रही
    पहले बाईस मार्च को जनता करफ्यू और उसके बाद पच्चीस मार्च को लोकडाउन के लागू होते ही सरकार की सारी प्रशासनिक जिम्मेदारी राजस्थान और केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकारियों के कंधो पर आ गयी। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव रोहित कुमार सिंह से लेकर कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी तक सब कोरोना की रोकथाम की व्यवस्था मे लग गये। हालंकि काम ज्यादा और जिम्मेदारी पुर्वक था वही लोकडाउन की गाइडलाइंस पर पुरे प्रदेश को चलाना था, जिसमे गांव शहर के पढे-लिखे और अनपढ सभी लोग शामील थे। लोगो को घरो से बाहर आने से रोकना, जरूरत मंदो को आने जाने के लिए पास जारी करना, दुकानों, स्कूलो कालेजों फिल्महालो और बडे डिपार्टमेंट स्टोरो, बडे माल को बंद रखवाना, दुध की डेयरियों, दवाइयों की दुकानों और छोटे किराना स्टोर पर सोशल डिसटेंस बनाये रखना ऐक बहुत बडी चुनोती थी।
    इस महामारी में कई प्रशासनिक बेडे मे कई सक्षम अधिकारियों ने बहुत ही बेहतरीन काम किया मगर कई अनाडी अधिकारी कागजो को इधर-उधर घुमाते रहे। कई जिलो मे अधिकारियों ने भूखो के लिए भोजन के पैकेट और सुखे राशन बंटवाने की सुचारू व्यवस्था करी तो कहीं ये अधिकारी सतारूढ़ दल के दबाव मे काम करते दिखे तो कहीं बेखोफ नियमो के तहत काम करते दिखे।
   हालांकि कई महिला अधिकारीयो को बेखौफ नियमानुसार काम करना थोडा भारी भी पड गया जिसकी कीमत उनको चुकानी पडी। जैसे चित्तौड़गढ़ मे उपखंड अधिकारी के रुप मे कार्यरत एक महिला आईएएस अधिकारी तेजस्वी राणा द्वारा कांग्रेस विधायक राजेंद्र विधुडी की बिना ड्राइविंग लाईसेंस के कार चलाने पर चालान काटने से नाराज सरकार ने ट्रांसफर कर दिया। ऐसे ही दूनी मे कार्यरत महिला तहसीलदार विनिता स्वामी ने लोकडाउन के नियम तोडने वालो के चालान न काटने की सिफारिश करने वाले अनेक नामदारो की सिफारिश अनसुनी कर दी।
    इस लोकडाउन पीरियड मे अधिकतर जनप्रतिनिधियों और बडे नेताओं का सरकारी अधिकारियों पर ज्यादा दबाव अपने चहेतों को आने-जाने का पास दिलाने और लोकडाउन मे बिना उचित वजह के घूमते-फिरते पकडे जाने पर छोड देने की सिफारिश करने का ही रहा है। कहीं अधिकारी मान गये तो कहीं अड गये। कई मंत्रीयो, विधायकों, सांसदो, पुर्व मंत्रियों ने भी अपने लोगो के जब्त वाहनो को छुडवाने के लिए ड्यूटी पर तैनात तहसीलदार, एसडीएम को फोन किये। अधिकतर केसो मे जहां महिला अधिकारी तैनात थी उन्होंने इन नेताओं को बडा निराश किया। इन अधिकारियों ने राष्ट्रहित को अधिक महत्व दिया।
    हालांकि पुरुष अधिकारियों ने भी दिन-रात काम किया है। मगर इसके विपरित अपने दूध पीते बच्चों को छोडकर पिछले तीन महिनो से अपने परिवारों से सैकडो मिल दूर बैठी ऐसी महिला प्रशासनिक अधिकारी जिन्होंने देश हित मे अपने घर परिवार सबको भुला कर कोराना की जंग मे खुद को उतार रखा है की जितनी तारीफ की जाये कम है। 


(Omendra singh Raghav) 

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