जिन्हे भक्तजन "चुनरी वाले माताजी" के नाम से भी जानते थे, महाराज जी अरवल्ली स्थित शक्तिपीठ अंबाजी के निकट गब्बर पर्वत की तलहटी में रहते थे। आधुनिक विज्ञान और नास्तिकों के लिए अबूझ पहेली बन चुके बाबा ने आखिर दुनिया छोड़कर जाने का फैसला कर लिया.... बाबा ने सिर्फ 10 साल की आयु में ही घर छोड़कर सन्यास ग्रहण कर लिया था.... और भगवती अंबाजी के साक्षातकार होने के बाद अन्न और जल का त्याग कर दिया था।
