तीन दोस्तों ने नौकरी छोड़ शुरू की मोती की खेती, आज हो रही है लाखों में कमाई
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तीन दोस्तों ने नौकरी छोड़ शुरू की मोती की खेती, आज हो रही है लाखों में कमाई

नौकरी से 3 गुना ज़्यादा कमाई

   अपनी नौकरी छोड़ तीन दोस्तों- (श्वेतांक, रोहित और अमित) ने शुरू की मोती की खेती (Pearl Farming) और आज नौकरी से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं। वर्तमान समय में जहाँ कई किसान जो अपनी पारंपरिक खेती से होने वाले नुक़सान से परेशान होकर किसी और काम की तलाश कर रहे हैं, तो वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो खेती के उन्नत गुणों (Advanced Properties of Farming) को सीख कर सलाना लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। आजकल तो किसानों के अलावा ज्यादातर युवा नौकरी करने के बजाए कृषि की ओर बढ़ रहे हैं और उसी में अपना भविष्य तलाश रहे हैं।
     यह कहानी ऐसे युवाओं की है जो अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़ खेती की ओर अग्रसर हुए और मोती की खेती (Pearl Farming) कर नौकरी से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ये तीनों दोस्त उत्तर प्रदेश के वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के चौबेपुर क्षेत्र के गाँव नारायनपुर के रहने वाले हैं। इनका नाम है श्वेतांक, रोहित और अमित। ये नए ज़माने की खेती करके आत्मनिर्भर भारत का एक नमूना पेश कर रहे हैं। 
    इन दिनों इनकी चर्चा पूरे राज्य में हो रही हैं, क्योंकि ये गाँव के लोगों को नए ज़माने की खेती करना सिखा रहे हैं। इन लोगों ने गाँव में ही अपने मकान के बाहर छोटे तालाब बनाएँ हैं। तीनों दोस्त मोती की खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन और बकरी पालन का भी काम कर रहे हैं।
नौकरी से 3 गुना ज़्यादा मुनाफा इस खेती में 
     इन तीनों सफल किसानों का कहना है कि मोती की खेती (Pearl Farming) की विधि पारंपरिक खेती (Traditional farming) से थोड़ी अलग होती है। वह एक कृषि उद्यम (Agricultural enterprise) की मदद से मोती की खेती कर रहे हैं। युवा किसान श्वेतांक ने एमए के साथ बीएड भी (MA-B. Ed) कर रखा है। लेकिन अपनी नौकरी छोड़ कर मोती की खेती कर रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने इंटरनेट की मदद से मोती की खेती से जुड़ी सारी जानकारीयाँ हासिल की और इसके लिए ट्रेनिंग भी ली। वर्तमान समय में रोज़ नए लोग उनसे जुड़ते जा रहें हैं। उन्होंने बताया कि सीप से मोती निकालने के काम में उन्हें नौकरी से 3 गुना ज़्यादा मुनाफा मिल रहा है।
खेती के साथ मधुमक्खी और बकरी पालन
     दूसरी ओर युवा किसान रोहित आनंद पाठक मधुमक्खी पालन की देखभाल किया करते हैं। उन्होंने BHU से graduation किया है, लेकिन उनकी भी सोच यही है कि वह पारंपरिक खेती की जगह कुछ नया करें। ऐसे में वह दिल्ली गांधी दर्शन से प्रशिक्षण लेने के बाद मधुमक्खी पालन का काम करने लगे। इसके तहत उन्होंने वाराणसी में ख़ुद काम शुरू कर दिया। अब वह ख़ुद दूसरे किसानों को इसके लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं। इतना ही नहीं अब उनसे शहद (Honey) बेचने वाली कंपनियाँ और औषधालय भी शहद ले जाते हैं। रोहित इसके अलावा बकरी पालन (Goat rearing) का काम भी करते हैं।
अमित ने भी नौकरी छोड़ शुरू की खेती
    इन तीनों दोस्तों में एक अमित हैं, जो कि एक समिति कृषि उद्यम (Committee agricultural enterprise) से पहले, ख़ुद एक प्रतिनिधि के रूप में जुड़े थे। इसके बाद इन्होंने भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर नई शुरूआत की है। अमित इस साल मुश्किल भरे समय में एक बड़ी कंपनी के रीजनल हेड की नौकरी छोड़ वाराणसी वापस आ गए और इसके बाद तीनों दोस्त खेती में लग गए।
     तीनों दोस्तों का इस बारे में कहना है कि इस साल मुश्किल भरे समय ने बहुत कुछ नया सिखाया है। आने वाले दिनों में समय काफ़ी तेजी से बदल रहा है। ऐसे में ख़ुद की कमाई के साथ-साथ हम दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं और एक नए वातावरण में पल बढ़ रहे हैं।
   तीनों दोस्तों की इस मुहिम से यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री और उनके इलाके के विधायक भी काफ़ी खुश हैं और इन्हें सपोर्ट कर रहे हैं।
 

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