एम्बुलेंस मे बलात्कार, तस्करी और लूट, सरकार को नए नियमों की ओर कर रहे है इशारा

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   जयपुर/राजस्थान।। कोरोना में एम्बुलेंस कर्मियों द्वारा तय दर से अधिक राशि वसूलने के किस्से तो आपने खूब देख लिए लेकिन क्या आप जानते है वक्त जरुरत जीवन बचाने के लिए काम आने वाली इस एम्बुलेंस के सारथी इतने नीच प्रवर्ति की और बढ़ चुके है की अब वह अपनी इसी एम्बुलेंस में किसी मानसिक विक्षिप्त का बलात्कार करने से भी नहीं चूक रहे है। जयपुर मे दो एम्बुलेंस कर्मियो द्वारा एक खानाबदोश महिला को रोटी के लालच मे एम्बुलेंस मे बिठाकर शहर मे घंठो तक घुमाना और फिर झालानी की पहाडियो मे ले जाकर उसके साथ बलात्कार करने का मामला हाल ही में सामने आया है। 
   एम्बुलेंस कर्मियों द्वारा किया गया यह बलात्कार पुलिस कर्मियो की लापरवाही नही बल्कि स्वास्थ्य कर्मियो, अस्पतालो, और डाक्टरो के प्रति हमारी अंधभक्ति वाली सोच का ही नतीजा है। इन एंबुलेंसो मे ऐसे नीच कर्म भी हो सकते है यह कोई सोच भी नही सकता है। चाहे इस देश का कोई आम आदमी हो या पुलिस के जवान हो अपने पास से निकलने वाली एंबुलेंस को बिना देखे या तांका झाकी किये ही सिर्फ ये सोचकर रास्ता दे देते है कि पता नही किसी की कितनी गंभीर हालत होगी और हमारे रास्ते न देने से किसी की सांसे न रुक जाये। 
   हम सभी यह जानते है गंभीर स्थितियों में उपयोग के चलते कानून ने भी एंबुलेंसो को बहुत संरक्षण दे रखा है।इनको पुलिस द्वारा रोक कर जांच करते, इनका चालान होते हमने कभी नही देखा। यहाँ तक की इनमे से कितनी एम्बुलेंस रजिस्ट्रड है या कितनी फर्जी ये भी किसी को भी फिलहाल मालुम नही है। इनका स्टाफ प्रशिक्षित है या अंगुठा छाप ये भी किसी को पता नही। मगर अचानक कोई एंबुलैंस शहर की सडके छोडकर झालाना की पहाडियो की तरफ या अन्य निर्जन जगहो की तरफ दोडे त़ो इन्हे शक की नजर से देखना लाज़मी बनता है।
    इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि कुछ अपराधी इन एंबुलेंसो का दुरुपयोग शराब, अफीम, सोने, चांदी की तस्करी मे भी कर सकते है। झुठमुठ के स्ट्रेक्चर के नीचे करोडो का माल छुपाकर यहां से वहां ले भी जा सकते है। बहरहाल क़ानूनी बाध्यताओं के चलते पुलिस इनको रोक कर अपने उपर आफत मोल नही लेना चाहती।हालाकि ऐसे रेयर केस ऐक दो से ज्यादा नही होते। यही नहीं अपितु जयपुर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल मे आईसीयु मे भर्ती एक अद्चेतन महिला के जननांगो पे हाथ फेर कर उससे भी छेडछाड की घटना पूर्व में सामने आ चुकी है। अब मरिज के परिजनो और अस्पताल प्रशासन को ऐसे भेडियो से सावधान रहना होगा।
   इस देश के अपराधी हर सुरक्षा की दृष्टि से बने कानुनो का अक्सर दुरुपयोग करते है। वो जानते है कि एंबुलेंस को रोकने की हिम्मत कोई पुलिस वाला नही करेगा और यदि किसी ने शक के आधार पर कर भी लिया तो दुसरे दिन उस मरिज के घरवाले, उसके पहचान के पत्रकार, नेता सब उस ईमानदार अधिकारी पर दोषारोपण करके उसे सस्पेंड कर घर बैठा ने में लग जाएंगे।
   एम्बुलेंस कर्मियों के बढ़ते अपराधों को देखते सरकार को भी एंबुलेंसो के लिए नयी गाइड लाईन बनानी होगी। शक होने पर एंबुलेसो को सरसरी तोर पर एक दो मिनट चैक करने के अधिकार पुलिस को देने होगें। एंबुलेंसो पर नियत्रंण चोकी होनी चाहिए, जो दिन भर ये देखती रहे की किस अस्पताल की कोनसी एंबुलैंस किधर दोड रही है।एंबुलैस कर्मियो का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। समय समय पर उनके व्यवहार को चैक करते रहना चाहिए कि वो शराब या अन्य नशे का सेवन तो नही करते है। बहरहाल सरकार को इस दिशा मे ठोस कदम उठाने चाहिये।

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