मेजर दलपतसिंह शेखावत जिन्हे ‘हाइफा के हीरो’ के नाम से जाना जाता है

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   हाइफा का युद्ध 23 सितंबर 1918 को लड़ा गया था। यह युद्ध प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शांति के लिए सिनाई और फलिस्तीन के बीच चलाए जा रहे अभियान के अंतिम महीनों में लड़ा गया। इस दिन उस्मानी वंश के तुर्कों की सेनाओं को हाइफा शहर से बाहर कर दिया गया था। मेजर दलपत सिंह (एमसी) को हाइफा को मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए ऐतिहासिक वृतांत में ‘हाइफा के हीरो’ के रूप में याद किया जाता है। उन्हें बहादुरी के लिए मिलिट्री क्रास से सम्मानित किया गया था। इस वजह से इंडियन मिलिट्री प्रति वर्ष हाइफा डे को सेलिब्रेट करती है।
   23 सितंबर को हुए युद्ध में मेजर दलपतसिंह समेत सात हिन्दुस्तानी शहीद हुए। दिल्ली स्थित तीन मूर्ति स्मारक इसी युद्ध के शहीदों को समर्पित है। खास बात यह है कि एक मूर्ति मेजर दलपत सिंह की है। गौर करने लायक तथ्य है कि इस विजय गाथा को इजराइली बच्चे अपने स्कूली पाठ्यक्रम में पढ़ते हैं।   
    प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान साल 1918 में इसी दिन भारत के तीन घुड़सवार रेजिमेंट मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण शहर हाइफा को मुक्त कराया था। हाइफा युद्ध की याद में एक डाक टिकट भी जारी किया गया है। 

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