पाकिस्तान के 48 टैंक को नेस्तनाबूद करने वाला वीर क्षत्रिय योद्धा जिसने ना कभी शादी की, ना ही फौज से तनख्वाह ली
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पाकिस्तान के 48 टैंक को नेस्तनाबूद करने वाला वीर क्षत्रिय योद्धा जिसने ना कभी शादी की, ना ही फौज से तनख्वाह ली

लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह राठौड़ (वीर हनूत सिंह इस राजस्थानी संत ने तबाह किए थे 48 पाक टैंक)

Hanut Singh Rathore
   आप में से बहुत कम लोग जानते है कि 1971 भारत पाक युद्ध मे अदम्य साहस का परिचय देने वाले महावीर चक्र से सम्मानित संत लेफ्टिनेंट जनरल हणुत्त सिंह जसोल है। हज़ारों सालों से क्षत्रिय कौम वीरता, महानता, राष्ट्रवाद की अजीबोगरीब मिसाल करती आयी है, फिर भी हमेशा इस कौम से कुछ ऐसा देखने को मिलता जो गर्व को भी गौरवमयी कर देता है।  
Hanut Singh Rathore
   आज हम आपको बताएंगे 1971 भारत–पाक के युद्ध के हीरो इतिहास के सबसे महान टैंक योद्धा जिंसने 1971 के युद्ध मे पाकिस्तान की सेना में हाहाकार मचा दिया था। पाकिस्तान सेना के 48 टैंक को नेस्तनाबूद करने वाला ये महावीर अपनी वीरता के साथ इतना बड़ा राष्ट्रभक्त था, जिसने कभी देश सेवा के लिए ना शादी की ना ही फौज से तनख्वाह ली। 
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लेफ्टिनेंट-जनरल हनूत सिंह राठौड़

    यही है क्षत्रित्व देश के लिये आजीवन अविवाहित रहे और बिना वेतन फ़ौज की नौकरी की। राजस्थान की मिट्टी ने जहां महाराणा प्रताप और वीर दुर्गादास जैसे वीरों को जन्म दिया है वहीं भक्त शिरोमणि मीराबाई की भी जननी है। वीर हनूत सिंह में राजस्थानी मिट्टी के दोनों गुण थे। 
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    इन्हीं की अगुवाई में पूना हॉर्स रेजीमेंट ने वर्ष 1965 तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के 48 टैंक नष्ट कर दिए थे जिसके बाद पाक सेना के सामने हार स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई ऑप्शन नहीं बचा। ले. जनरल हनूत सिंह का जन्म 6 जुलाई 1933 को ले. कर्नल अर्जुन सिंह जी राठौड़ ठिकाना जसोल, राजस्थान के घर हुआ था। वह देश के पूर्व विदेश एवं रक्षामंत्री जसवंत सिंह के चचेरे भाई थे। देहरादून के कर्नन ब्राउन स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1949 में एनडीए में दाखिल हुए। वहीं से उन्होंने सेना ज्वॉइन की। यहां वह सैकण्ड लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए। इसके बाद वह सीढ़ी दर सीढ़ी तरक्की करते रहे।
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भारत-पाक युद्ध में दिखाई ताकत-

    वर्ष 1965 व 1971 में हनूत सिंह ने भारत-पाक युद्ध में पूना हॉर्स रेजीमेंट की ओर से भाग लिया। इनके नेतृत्व में ए.बी. तारपारे व सैकण्ड लेफ्टिनेंट अरूण क्षेत्रपाल ने युद्ध कौशल का परिचय देते हुए पाकिस्तान सेना के 48 टैंक ध्वस्त कर पाक सेना के छक्के छुड़ा दिए।

पाक ने कहा फक्र-ए-हिंद-

    युद्ध में हनूत सिंह के कौशल से प्रभावित पाकिस्तान की यूनिट ने भारत की इस रेजीमेंट को फक्र-ए-हिंद के टाइटल से नवाजा जो कि भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार किसी विरोधी सेना की ओर से नवाजा गया था। युद्ध में उन्हें बहादुरी दिखाने के लिए महावीर चक्र से भी नवाजा गया था।
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आजीवन रहे बाल-ब्रहमचारी-

     रेजीमेंट में हनूत सिंह गुरूदेव के नाम से जाने जाते थे। सभी लोग उन्हें यह कहते हुए सम्मान देते थे। उन्होंने शादी नहीं की। उनसे प्रभावित होकर उनकी यूनिट के अधिकतर अधिकारियों ने भी शादी नहीं की। 

सिपाही से बन गए साधु-

    उनका बचपन से ही आध्यात्म व योग की ओर रूझान था। सेना के दौरान उनका परिचय देहरादून के शैव बाल आश्रम से हुआ। सेना से रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने वहीं रहना शुरू कर दिया। उन्हें गुरूजी के नाम से जाना जाता था। शराब तथा मांस के वह सख्त खिलाफ थे। 
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    देहरादून के बाल शिवयोगी से प्रभावित होकर उन्होंने उनसे दीक्षा ली। इसके बाद वह वहीं बस गए। वह वर्ष में दो महीने के लिए जोधपुर के बालासति आश्रम में आया करते थे। वहां भी वह परिवार से अधिक बात नहीं करते और अपनी आध्यात्मिक साधना में ही लीन रहते थे। 

अद्वितीय रणनीती से पाकिस्तान के 48 से अधिक टेंकाे काे कर दिया था नेस्तानाबूद 

    राठौड़ ने सन् 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में महावीर चक्र विजेता जिन्हाेने अद्वितीय रणनीती से पाकिस्तान के 48 से अधिक टेंकाे काे नेस्तानाबूद कर दिया था। इस युद्ध के कारण ही भारतीय सेना लाहौर को घेरने में सफल हुई थी जिससे 1971 की लड़ाई में भारत पाकिस्तान के शकरगढ़ क्षेत्र में विजयी हुआ था।
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जीवन परिचय--

    हणूत सिंह राठौड़ जसोल रावल मल्लिनाथ वंशज थे, उनका वंश राठौड़ो के वरिष्ठ शाखा महेचा राठौड़ है। उनके पिता lt .col अर्जुन सिंह जी थे, इनका जन्म 6 जुलाई 1933 को हुआ था। ये जीवन भर अविवाहित रहे और सती माता रूपकंवर बाला गांव के परम भक्तों में से एक थे। इन्हे 28 दिसंबर 1952 को भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त हुआ था। आज़ाद भारत के 12 महानतम जनरलाें में शामिल और भारतीय फाैज में जनरल हनुत के नाम से प्रसिद्ध जनरल साब अभी देहरादून में रह रहे थे। आप पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंतसिंह जी के सगे चचेरे भाई थे। जनरल हनुत सिंह सदैव आध्यात्मिक साधना में लीन रहते थे।
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    सन् 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में इन्हे असाधारण वीरता के लिए महावीर चक्र प्रदान किया गया था। वे FLAG HISTORY OF ARMOURED CORP के अधिकृत लेखक थे। इन्हे परम विशिस्ट सेवा मेडल PVSM भी दिया गया था। 31 जुलाई 1991 में वे रिटायर हो गए थे। 
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1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध--

   लेफिनेंट कर्नल (तत्कालीन) हणूत सिंह राठौड़ ने इस युद्ध में 47 इन्फेंट्री ब्रिगेड को कमांड किया था। इस युद्ध में जिन क्षेत्रों में सबसे घमासान युद्ध हुआ था उनमे शकरगढ़ भी एक था। लेफिनेंट कर्नल (तत्कालीन) हणूत सिंह की 47 इन्फेंट्री ब्रिगेड को शकरगढ़ सेक्टर में बसन्तर नदी के पास तैनात किया गया था। पाकिस्तान ने इस नदी में बहुत सी लैंड माइंस लगा रखी थी। 16 दिसंबर 1971 के दिन हणूत सिंह की कमांड में सेना ने नदी को सफलता पूर्वक पार किया। पाकिस्तान ने दो दिन लगातार टैंको से हमले किये, लेफिनेंट कर्नल (तत्कालीन) हणूत सिंह ने अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना एक खतरनाक सेक्टर से दूसरे खतरनाक सेक्टर में जाकर सेना का नेतृत्व और मार्गदर्शन किया।
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    इस युद्ध में इनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 48 टैंक ध्वस्त कर दिए और पाकिस्तान का आक्रमण विफल कर दिया। उन्होंने आश्चर्यजनक वीरता, नेतृत्व और कर्तव्यपरायणता का परिचय दिया और इस
विजय के फलस्वरूप हणूत सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने अपनी पुस्तक LEADERSHIP IN THE INDIAN ARMY में हणूत सिंह जी के बारे में लिखा है कि.……
    “Hanut will be remembered as one of the finest armour commanders of the indian army. His simplicity, courage, boldness, high sense of moral values and professionalism will always be a source of inspiration for generations of officers to come”

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