खजुराहो के जीवित शिवलिंग का रहस्य जिसे विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया
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खजुराहो के जीवित शिवलिंग का रहस्य जिसे विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया

   खजुराहो के जीवित शिवलिंग का क्या रहस्य है, जिसे अब तक विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है? आखिर क्या है खजुराहो के इस जीवित शिवलिंग का रहस्य, जिसे अब तक साइंस भी नहीं सुलझा पाई है? मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित है मतंगेश्वर का मंदिर। कहते हैं कि यह मंदिर 9वीं सदी में निर्मित हुआ था, परंतु यहां का शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है। 
   इस शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है। इस मंदिर का नाम मतंगेश्वर महान मतंग ऋषि के नाम पर पड़ा है। आओ जानते हैं इस मंदिर के 5 रहस्य। 
1. कहते हैं कि इस शिवलिंग का हर वर्ष आकार बढ़ जाता है। इस शिवलिंग की ऊंचाई लगभग ढाई मीटर और इसका व्यास एक मीटर बताया जाता है। मतंगेश्वर शिवलिंग का आकार धरती के ऊपर और नीचे हर साल बढ़ जाता है।
2. हर साल की कार्तिक पूर्णिमा के दिन पर्यटन विभाग के कर्मचारी आकर इस शिवलिंग की माप करते हैं। जिससे पता चलता है कि इस शिवलिंग का आकार हर साल बढ़ रहा है।
3. यह भी कहा जाता है कि यहीं पर शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसीलिए यह मंदिर आदिदेव और आदिशक्ति के पवित्र प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
4. इस मंदिर का निर्माण एक चमत्कारिक मणि रत्न के ऊपर कराया गया है। मान्यता अनुसार यह मणि स्वयं भगवान शिव ने सम्राट युधिष्ठिर को प्रदान की थी। जो कि हर मनोकामना पूरी करती थी। बाद में संन्यास धारण करते समय युधिष्ठिर ने इसे मतंग ऋषि को दान में दे दिया था। मतंग ऋषि के पास से यह मणि राजा हर्षवर्मन के पास आई। जिन्होंने इस मणि को धरती के नीचे दबाकर उसके उपर इस मंदिर का निर्माण कराया। आज भी मणि विशाल शिवलिंग के नीचे है।
5. शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि यह शिवलिंग नीचे पाताल लोक की ओर और उपर स्वर्गलोक की ओर बढ़ रहा है। जब यह पाताललोक पहुंचेगा तब कलयुग का अंत हो जाएगा।

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