देहात की टूटी हुई सड़कों पर लोग अपनी जान की बाज़ी क्यों लगा रहे है?
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देहात की टूटी हुई सड़कों पर लोग अपनी जान की बाज़ी क्यों लगा रहे है?

देहात मे टूटी सडके बनी जानलेवा आए दिन मंडराता है जान खतरा
Tuti Puliya
   बांसवाडा/राजस्थान।। राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत साहब जहा चुनावी रैलियों और सभाओं में दुनिया भर के विकास के दावे आँख मीचकर फेंके रहे है वही उनकी सरकार में बने मंत्रीयो को भी अब यह यकींन हो गया है की सरकार आगे आने वाली नहीं है इसलिए जितना हो सके दबा के खालो, इसलिए ना तो सरकार और ना ही प्रशासन आमजनता की फिक्र से कोसो दूर हो चला है। कुछ ऐसा ही राजस्थान के जनजातीय क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, जहा जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए अरबो रूपये का बजट तो आता है, लेकिन भिखारी नेता और भिखमंगे अधिकारी उसमे गबन कर अपनी लुटेरी औकात दिखाने से बाज़ नहीं आ रहे है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचों, और रोज़गार की बात करें तो कांग्रेस राज में राजस्थान की स्थिति अब चूसे हुए आम की तरह हो गई है। कुछ ऐसी ही बर्बादी की दास्ताँ राजस्थान के बांसवाडा जिले के एमपी गुजरात सीमावर्ती उपखंड कुशलगढ के सबसे ज्यादा नान कमांड इलाके खेडा धरती घाटा क्षेत्र मे में देखी गई जहा प्रतिदिन चौबीसो घंटे आवाजाही वाली सडको और क्षतिग्रस्त पुलिया पर लोगो का गुजरना अब उनके लिए जान जोखिम में डालने से कम नहीं है। क्षेत्र कुशलगढ रतलाम स्टेट हाइवे मार्ग कहा जाने वाले घाटा से पांचडूंगरी से लगाकर बस्सी करणघाटी, मोहकमपुरा से भंवरदा अंदोख, मोहकमपुरा से सुंदरीपाडा राजपुरा सीमा, मोहकमपुरा मे भूरीपाडा सहित क्षेत्र मे ग्रामीण डामर सडके और पुलिया जो करीब दस साल पहले बने थे आज वहा डामर का कही भी कोई नामोनिशां नजर नही आता है। 
Tuti Puliya
   घाटा क्षेत्र की नवगठित ग्रामपंचायत भंवरदा के अंदोख मार्ग पर पुल करीब दो साल से बारिश के पानी मे टूटकर बाइक निकलने जितनी भी जगह नहीं बची है। यहाँ से लोगो का निकलना किसी बडे खतरे से कम नही है। इस मार्ग पर गंभीर बिमार या डीलेवरी के लिए 108  और 104 के नही पहुंचने पर जरूतमंद को निजी वाहन से घाट तक लाना संभव नही है।  
 
  यहां स्थानिय सरपंच तेरसिंह चारेल के अनूसार एमपी बामनिया रेलवे स्टेशन को जोडने वाली अंदोख सडक के टूटकर जानलेवा बने पुल और तीन किमी पूरी खस्ताहाल अधूरी छोडी हुई सडक को बनाने में क्षेत्रिय विधायक सहित समय-समय पर होने वाली जनसुनवाई और प्रशासनगांवो के संग शिविर मे भी लिखित में देने के बावजूद भी ना तो सार्वजनिक निर्माण विभाग ने और ना ही अन्य किसी जिम्मेदारो ने इस पर ध्यान दिया है। नतिजा यह है कि करीब पांच गांवो के देहात के ग्रामीण इन टूटी सडको और जानलेवा बने पुल पर जान जोखिम भरा सफर करने को मजबूर है, वही क्षेत्र वासियों का कहना है कि कांग्रेस जो  पिछले पांच सालों में विकास किया है यह उसी का नज़राना है, जो आगामी चुनाव से पहले जनता की आँखे खोलने के लिए काफी है। 

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