तेज बारिश मे सरकारी जर्जर स्कूल धाराशायी, बच गई सैकड़ों बच्चो की जान
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तेज बारिश मे सरकारी जर्जर स्कूल धाराशायी, बच गई सैकड़ों बच्चो की जान

सर्व सुविधा युक्त शिक्षा के दावे जनजाति क्षेत्र मे फेल कैसे हो गए?
  बांसवाडा/राजस्थान।। अशोक गहलोत की लपंट कांग्रेस राजस्थान की जनता को लूटकर सिर्फ अपनी जेब भरते हुए गाँधी परिवार द्वारा देश में आयोजित फ़र्ज़ी भारत जोड़ो की नौटंकी में लगी हुई है, वही इन लुटेरों को सत्ता तक पहुँचाने वाली जनता को अपने ही टेक्स के पैसों से अपने ही बच्चो के लिए एक ढंग का सरकारी स्कूल तक नसीब नहीं हो रहा है। जी हां बीती रात को तेज़ बारिश के चलते कांग्रेस जैसी लड़खड़ाती हुई, एक जर्जर सरकारी स्कूल भरभरा के ध्वस्त हो गई। हालाँकि हादसा रात के समय हुआ इससे सैकड़ों बच्चो की जान बच गई।  
  
  इससे यह साफ जाहिर होता है कि सरकार ने अपनी गैरजिम्मेदाराना हरकतों से गरीब बच्चो की जान लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन वो कहते है ना कि "जाको राखे साहिया मार सकें ना कोई" यानी ईश्वर ने अबोध सैकड़ों बच्चों को बचा लिया नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से इन बच्चों की हत्या कांग्रेस सरकार की नाकामी की वजह से इस हादसे में चली जाती। वही घटना के चलते मौके पर कई ग्रामीण जमा हो गए, कुछ करने में असमर्थ अध्यापक बच्चो को अब सडक पर बैठा कर  अध्यापन करा रहे है।
 
School Falldown
106 बच्चे जिस एक कमरे मे पढते थे वो भी हो गया जमीदोज़
   मंगलवार रात्रि को बांसवाडा जिले के कुशलगढ के खेडा धरती मे आई तेज बारिश मे खेडा धरती के पाटन क्षेत्र की नवगठित ग्राम पंचायत सरोना स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल का जर्जर भवन धाराशायी होकर जमींदोज़ हो गया। 
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   हालांकि रात को भवन गिरने से किसी प्रकार की जनहानि नही हुई, और सैकड़ों अबोध बच्चो की जान बच गई। लेकिन दिन होता और स्कूल चालू होता तो बडा हादसा हो सकता था, कई बच्चे बेमौत मारे जा सकते थे। चूंकि मंगलवार को पूरे दिन भर स्कूल समय में 106 बालक-बालिका कमरे और बरामदे मे ही बैठे थे। 
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  बताया जा रहा है कि स्कूल का एक भवन पहले से ही जर्जर होकर डेमेज घोषित हो चूका था, जिसकी सूचना कांग्रेस की निकम्मी जर्जर सरकार के हरामखोर विभागीय अधिकारीयों और कर्मचारियों को कई बार दे दी गई थी, लेकिन उसके बाद भी एक भी निकम्मे नेता या अधिकारी ने इसकी सुध नहीं ली, आप सरकार की इस हरकत को गरीबों के बच्चों की अप्रत्यक्ष रूप से हत्या की साज़िश भी मान सकते है।
 
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  वही बताया जा रहा है कि मंगलवार को जो बिल्डींग छत सहित गिरी वो सर्व शिक्षा अभियान के तहत करीब बीस वर्ष पूर्व बनाया गया था। भवन गिरने की सूचना पर मौके पर बीटीटीएस जिला अध्यक्ष कदवाली निवासी नारायण निनामा, भूरजी, गौतम, राकेश, जीवन, कांतु, मुन्ना आदि पहुंचे। 
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 वही अलसुबह स्कूल समय मे बच्चे और स्टाफ भी पहुंचे। उधर स्कूल के कांग्रेस सरकार की तरह गिर जाने के कारण सडक पर बैठाकर बच्चो की प्रार्थना सभा के बाद पढाई शुरु की गई। 
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 यहा मौकाय हालात से कदवाली स्कूल के प्रधानाध्यापक मुकेश डामोर ने बताया कि कक्षा एक से पांच तक कुल 106 बच्चे नामांकित होकर चार का स्टाफ है। मंगलवार दिन मे इसी भवन मे बच्चो को बैठाकर पढाई करवाई गई थी। वेसे स्कूल मे एक ही छत वाला कमरा है, जो भी रात को गिर गया।
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  डामोर ने बताया कि जुलाई माह से ही दो पेडो के नीचे लिपाई-पुताई कर बच्चो को बैठाकर पढा रहे है। स्कूल भवन की डिमांड विभाग को कई समय से भेज रखी है। वही इधर ग्रामीणो ने कुशलगढ विधायक रमीला खडिया सहित शिक्षा और शासन, प्रशासन से कदवाली का नवीन भवन स्वीकृति की पुरजोर मांग रखी है। 

  
   सरपंच शारदा डीडोड ने बताया की यह प्रथमिक विद्यालय सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत बना था वहीं वर्षा से पहले भी कई बार इस स्क़ूल के गिरने की नौबत आई थी। डीडोड ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस स्कूल में कुल 110 छात्र छात्राएं अध्ययनरत है, जो खुले आंसमान में पेड़ के निचे पढ़ाई करने को मज़बूर है। जब सरकार, प्रशासन व शिक्षा विभाग को स्कूल की जर्जर अव्यवस्था का पता था फिर भी सरकार, प्रशासन व शिक्षा विभाग ने इस और ध्यान क्यों नहीं दिया?

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  गनीमत रही कि वर्षा के समय रात्री में स्कूल गिरी व बच्चे खुले आसमान तले पेड़ के निचे पढ़ाई करतें थे, यदी बच्चे स्कूल में पढ़ते व स्कूल समय होता तो बड़ी जनहानि होने से इंकार नहीं किया जा सकता था। इधर ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन व शिक्षा विभाग से स्कूल बनाने व अन्यत्र जगह पढ़ाई जारी रखने की मांग की है। 

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