पैकेट बंद दूध बच्चों की किस्मत से दूर, एक्सपायरी होने का खतरा भी बढ़ा
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पैकेट बंद दूध बच्चों की किस्मत से दूर, एक्सपायरी होने का खतरा भी बढ़ा

  गुजरात चुनाव का गरुर, सत्ता के नशे में गहलोत चुर 
  बांसवाड़ा/राजस्थान।। राजस्थान में स्कुली छात्र छात्राएं दुध गटने के लिए मजबुर, राजस्थान  की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत व सचिन पायलेट होड़ मची हुई है। आए दिन मिडीया में भी कांग्रेस पार्टी  के दो खेमों में बटने को लेकर घमासान भी मचा हुआ है। वही इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात चुनाव में दोरे पर दोरे कर कांग्रेस को गुजरात में भी सत्ता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान के सीएम साहब को शायद यह पता नहीं है कि आपकी सरकार के राजस्थान में चार साल बीत चुके हैं। वहीं शिक्षित बेरोजगार सरकारी नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबुर है। चार साल पहले सत्ता पाने के लिए अशोक गहलोत ने जहा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहयोगी सहित सभी को नियमित करने का कहा था वही चार साल बाद भी वादे पुरे नहीं होने से राजस्थान का बेरोजगार व संविदाकर्मी निराश है।  
  दूसरी और कोरोना काल के बाद जब स्कूले खुली तो आधा सत्र बीत गया पर स्कूली छात्र-छात्राओं को डब्बों में बंद पाउडर वाला दुध गटने का आज भी इंतजार है। मगर इस योजना के उद्घाटन के अभाव में बच्चों को वो पाउडर वाला मिलावटी दुध तक भी नहीं दिया जा रहा है। 
  बतादे कि सरकार ने मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना तो लागू कर दी जिसमे सप्ताह में दो दिन मंगलवार व शुक्रवार को सरकारी स्कूलों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं को दुध पीलाने का फरमान भी जारी कर दिया गया। वही स्कूलों में दुध पावडर के डिब्बे भी पहुंचे, शक्कर, गैस व अन्य राशी भी अग्रीम एसएमसी के खातो में डाली गई, किन्तु 2.5 लाख बच्चें इस योजना से फिर अब तक वंचित है। सरकार ने एक बार नही, दो बार नही बल्कि इसी को लेकर तीन बार आदेश निकालें। 
  आपको बतादे की पहला आदेश 15 अगस्त, दुसरा आदेश 2 अक्टुबंर गांधी जयंती व तीसरा आदेश 15 नवबंर का निकाला गया लेकिन स्कूली छात्र-छात्राएं दुध से अभी भी वंचित क्यों है? यह बड़ी जांच का विषय है। जहा तक सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की बात करें तो वहा उचित कक्षा-कक्ष और फ्रीज़र के अभाव में इन दुध के पाउडर वाले पैकेटों को संभाल कर व सुरक्षित रखने में शिक्षा महकमे को भी काफी दिक्कत हो रही है। 
  जानकारों का कहना है कि बांसवाड़ा ज़िले में 98,370 पैकेट्स स्कूलों में आए है, जिनका प्रति  पैकेट 0.5 किलो वजन है। इधर शिक्षा विभाग के हवाले से खबर है, कि सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के बच्चों को मध्याह्न भोजन देने के आदेश भी 9 मार्च 2022 को पुनः सरकार ने लागु किए थे, और कुकिंग कन्वर्जन की राशी भी एसएमसी के खातों में पहुंचा दी गई थी, लेकिन कुक कम हेल्परों के मानदेय की राशी का एसएमसी के खातों में लिंक नहीं होने से अध्यापकों को उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। 
  इधर शिक्षक संघ भी इस बात पर मुखर है कि जिला कलेक्टर को बकाया राशि के लिए अवगत कराने के बाद भी भुगतान नहीं होना सरकार की लचर व्यवस्था को दर्शाता है। बाल गोपाल योजना के तहत पांचवीं तक के बच्चों को 15 ग्राम पाउडर दुध तथा 150 एमएल दुध तैयार कर पीलाना था पर आदेश जारी करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सत्ता की बागडोर के लिए गुजरात चुनाव में दोड रहें है। वहीं प्रदेश के स्कूली छात्र-छात्राएं दुध के लिए इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि सरकार इस पर ध्यान केंद्रित करेगी या नहीं क्योंकि पैकेट बंद इस दूध पाउडर के भी एक्सपायरी होने का खतरा भी बना हुआ है। 

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