

इस टैंकों की लद्दाख में तैनाती आसान नहीं है। यहां पर तापमान काफी ठंडा रहता है। इस बारे में कर्नल विजय दलाल ने बताया, ”तापमान माइनस 45 डिग्री तक चला जाता है। इससे टैंकों की क्षमता पर असर पड़ता है। इसलिए ये टैंक विशेष फ्यूल से चलेंगे। मशीन जाम न हो जाए, इसके लिए टैंक के इंजन को रात में भी दो बार चालू किया जाता है। निश्चित रूप से ये मुश्किल काम है लेकिन हम इसे बेहतर तरीके से कर लेते हैं।”
एक अन्य अधिकारी के अनुसार, ”इस इलाके में ऊंचे पहाड़ और घाटियां हैं। दुश्मन यहां आसानी से मूवमेंट कर सकता है। इसके चलते जरूरी है कि ज्यादा फोर्स रखी जाए।” गौरतलब है कि भारत ने 1962 युद्ध के दौरान भी 5 टैंक उतारे थे लेकिन जब तक ये टैंक पहुंचे थे, तब तक भारत की हार हो चुकी थी। चीन सीमा पर तनाव बना रहता है। चीनी सैनिक कई बार भारतीय सीमा के अंदर तक घुस आते हैं। हालांकि पिछले दो सालों में इस तरह की घटनाओं में कमी आई है।